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चीन की हरकतें हिंद-प्रशांत में बढ़ा रहीं सैन्य शत्रुता, छोटे देशों की सीमाओं का उल्लंघन कर रहा ड्रैगन

बीजिंग : हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन लगातार भड़काने वाली हकरतें कर रहा है, जिनसे सैन्य शत्रुता की आशंका बढ़ रही है। ग्लोबल स्ट्रैट व्यू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के क्षेत्रीय संबंध लगातार खराब हो रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, भारत, दक्षिण कोरिया और जापान सहित हिंद-प्रशांत के ज्यादातर देश चीन की आक्रामकता से खफा हैं। चीन छोटे देशों की समुद्री सीमाओं का उल्लंघन कर रहा है।

वैश्विक स्तर पर चीन को लेकर यह धारणा प्रबल हुई है कि वह अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए सैन्य ताकत से दूसरे देशों की संप्रभुता व सीमाओं का दमन करता है। इसी महीने तवांग में झड़प हो या ताइवान की घेराबंदी और जापान की सीमा में सैन्य पोतों की घुसपैठ, चीन की इन हरकतों से हिंद-प्रशांत क्षेत्र अस्थिरता और सैन्य शत्रुता की आशंकाएं बढ़ी हैं।

ताइवान या जापान के साथ चीन के सैन्य संघर्ष की स्थिति में अमेरिका का सीधे तौर पर युद्ध में शामिल होना तय है, वहीं भारत चीन का अकेले मुकाबला करने में सक्षम है। हालांकि, दोनों ही स्थितियों में पूरा क्षेत्र गंभीर आर्थिक और सैन्य संघर्ष की चपेट होगा। 2020 में सीमा विवाद को लेकर चीनी और भारतीय सेना में खूनी जंग हुई थी।

दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर के देश भी चीन की सैन्य शक्ति का सामना करने के लिए कमर कस रहे हैं। सेनकाकू द्वीप पर चीन के दावे से जापान चिंतित है। ताइवान को लेकर चीन की बढ़ती आक्रमता को देखते हुए जापान ने चीन के साथ सशस्त्र संघर्ष की तीव्र आशंका महसूस की है। यही वजह है कि जापान ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी सैन्य क्षमता निर्माण योजना का एलान किया है।

दक्षिण कोरिया पर भी जबरदस्त दबाव है। यहां की सरकार अमेरिका और चीन के बीच संबंधों को संतुलित करने में फंसी गई है। हालांकि, दक्षिण कोरियाई चाहते हैं कि उनका देश चीन और उत्तर कोरिया से मुकाबला के लिए तैयार रहे, क्योंकि हाल के वर्षों में चीन के बारे में जनता की राय नकारात्मक हो गई है।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब दुनिया अमेरिका और सोवियत संघ के साथ दो हिस्सों में बंट रही थी तो भारत, चीन, इंडोनेशिया सहित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दर्जनों देशों ने गुट निरपेक्ष रहने का संकल्प लिया, लेकिन अब चीन खुद ही इन देशों के लिए बड़ा खतरा बन गया है।

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