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भारत जोड़ो यात्रा: 2024 से पहले नेताओं को एकजुट रखना कांग्रेस की बड़ी चुनौती

नई दिल्ली (New Delhi)। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की अगुवाई में जारी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा (Bharat Jodo Yatra) 11 जनवरी को पंजाब (Punjab) पहुंच रही है। इससे पहले यात्रा 5 जनवरी को दोबारा हरियाणा (Haryana) पहुंची। इन दोनों राज्यों में यात्रा की चर्चा की कई वजह हैं। पहली तो यहां कांग्रेस (Congress) को खोई हुई ताकत वापस जुटानी है। वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं को एकजुट रखना भी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी।

प्रदेश में ताजा संकट को टालने के लिए कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ताकत में इजाफा कर दिया। कुमारी शैलजा को हाटकर उनके करीबी कहे जाने वाले उदय भान प्रदेश अध्यक्ष को बनाया गया। इतना ही नहीं हुड्डा खुद विधायक दल के नेता बने और बेटे दीपेंद्र राज्यसभा में चुने गए। कहा जा रहा है कि राज्य में हुड्डा की ताकत बढ़ाने का दांव विपरीत पड़ सकती है, क्योंकि यहां भारतीय जनता पार्टी की नजरें असंतुष्ट नेताओं पर हैं। बीते साल अगस्त में ही कांग्रेस के दिग्गज कुलदीप सिंह बिश्नोई ने भाजपा का दामन थामा। खबर है कि कुछ और बड़े नेता कांग्रेस में असहज महसूस कर रहे हैं। माना जाता है कि उदय भान के कद बढ़ने से भी हरियाणा के दो बड़े सियासी घराने परेशान हुए हैं। इनमें बिश्नोई के अलावा अब पूर्व मंत्री किरण चौधरी का नाम भी शामिल होता नजर आ रहा है। उन्होंने हुड्डा गुट पर उनके समर्थकों को प्रभावित करने के आरोप लगाए हैं। खास बात है कि उन्होंने राहुल की यात्रा में अपने समर्थकों को भेजने से इनकार कर दिया था। एक ओर जहां कुलदीप का हिसार, किरण का भिवाणी में दबदबा है।

पंजाब
हरियाणा और पंजाब को मिलाकर कुल 23 लोकसभा सीटें हैं। साल 2019 में पंजाब कांग्रेस के लिए अहम साबित हुआ था, क्योंकि यहां से पार्टी को 8 सीटें मिली। हालांकि, 2022 में आम आदमी पार्टी के हाथों कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा। इसका जिम्मेदार नेतृत्व संकट माना गया।

आशंकाएं जताई जा रही हैं कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की जनवरी के अंत तक रिहाई कांग्रेस में उथल-पुथल मचा सकती है। वह 1988 के रोड रेज मामले में एक साल की सजा काट रहे हैं। अब रिहाई से पहले ही प्रदेश कांग्रेस में उनकी नई भूमिका को लेकर चर्चाएं बढ़ रही हैं। 2022 में भी पार्टी के कई नेताओं ने सिद्धू को ही हार का जिम्मेदार माना था।

इतना ही नहीं सिद्धू पर पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भी कमजोर करने के आरोप लगे थे। इसी बीच चन्नी खुद भी लंबे समय बाद सियासी तस्वीर में लौटते नजर आ रहे हैं। खास बात है कि चुनाव में हार के बाद दोनों नेता ही गायब हो गए थे। इधर, कांग्रेस ने हालात संभालने राजा अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को कमान सौंप दी थी।

पंजाब में सुनील जाखड़, बलबीर सिंह सिद्धू, सुंदर श्याम अरोड़ा, राज कुमार वेरका, गुरप्रीत कंगार, कैप्टन अमरिंदर सिंह और राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी जैसे कई दिग्गज कांग्रेस छोड़ चुके हैं।

समझें सियासी हाल
बीते 6 महीनों में ना पंजाब में वडिंग और हरियाणा में हुड्डा खुद को निर्विरोध नेता साबित कर सके हैं। अब राहुल गांधी की यात्रा से नेताओं को उम्मीद है कि कुछ दल-बदलू नेता दोबारा कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा पार्टी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों से भी सबक ले सकती है। जहां, सुखविंदर सिंह सुक्खू और प्रतिभा सिंह के बीच आलाकमान हालात शांत करने में कामयाब हुआ।

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