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शशि थरूर VS अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए लगभग तय,राहुल आये तो बदलेगी कहानी

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के नामांकन शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं। ऐसे में उम्मीदवारों को लेकर स्थिति कुछ साफ होती जा रही है। हालांकि, वायनाड सांसद राहुल गांधी मैदान में होंगे या नहीं? यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है। इधर, G-23 नेताओं में शामिल रहे शशि थरूर पद पर दावा पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री और गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले अशोक गहलोत भी रेस में आगे चल रहे हैं।

यदि शशि थरूर और अशोक गहलोत के बीच मुकाबला होता है तो इसका अर्थ यही है कि इस बार पार्टी की कमान की किसी गैर-गांधी के हाथों में होगी। मतलब यही कि राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे।

सवाल यह भी उठा है कि क्या पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे? क्या सचिन पायलट को राजस्थान की कमान सौंपी जाएगी? राजनीति के जानकार इस बात को अभी हजम नहीं कर पा रहे हैं कि अशोक गहलोत, पार्टी अध्यक्ष पद के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने को तैयार हो गए हैं? क्या यही कारण है कि अशोक गहलोत बार-बार राहुल गांधी का नाम आगे कर रहे हैं। हालांकि, गहलोत ने हर बार यह सवाल टालने की कोशिश की है कि क्या इससे राजस्थान में उनकी राजनीति पर कोई असर पड़ेगा।

गहलोत ने कुछ हफ्ते पहले राष्ट्रीय राजधानी में सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की थी, जिसमें कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष ने उन्हें चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा था। कई लोगों का मानना ​​है कि गहलोत को इस पद के लिए शीर्ष नेतृत्व का समर्थन प्राप्त है।

वहीं थरूर चुनाव जी-23 समूह के उम्मीदवार हैं। उन्हें कई सांसदों का समर्थन प्राप्त है क्योंकि उनके साथ पांच अन्य सांसदों ने कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव समिति के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री को पत्र लिखकर मांग की थी कि चुनावी भूमिका सभी को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘जो भी चुनाव लड़ना चाहता है वह इसके लिए स्वतंत्र है और उसका स्वागत है। यही कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी का सतत रुख रहा है। यह एक खुली, लोकतांत्रिक और पारदर्शी प्रक्रिया है। किसी को चुनाव लड़ने के लिए किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है।’ थरूर ने सोमवार को उस ऑनलाइन याचिका की पैरवी की जिसमें ‘पार्टी के युवा सदस्यों ने सुधारों की मांग की और कहा है कि अध्यक्ष पद के हर उम्मीदवार को यह संकल्प लेना चाहिए कि निर्वाचित होने पर वह ‘उदयपुर नवसंकल्प’ को पूरी तरह लागू करेगा।’

अटकलें लगाई जा रही थीं कि अगर राहुल चुनाव नहीं लड़ते हैं, तो सीएम गहलोत कांग्रेस प्रमुख के चुनाव में उतर सकते हैं। हालांकि, वह भी लगातार राहुल के ही कमान संभालने की बात का समर्थन कर रहे हैं और शनिवार को ही राजस्थान कांग्रेस ने इस संबंध में प्रस्ताव पास किए। साथ ही यह भी माना जा रहा है कि वह राज्य की राजनीति छोड़ना नहीं चाहते, लेकिन कई बार वह राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की कमान संभालने के भी संकेत दे चुके हैं।

कन्याकुमारी से जम्मू-कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो’ यात्रा की अगुवाई कर रहे राहुल कमान संभालने के मूड में नहीं हैं। खबरें आती रही हैं कि पार्टी नेता लगातार अध्यक्ष बनने की अपील कर रहे हैं, लेकिन वह इच्छुक नहीं हैं। फिलहाल, वायनाड सांसद के अलावा थरूर और गहलोत का नाम ही सामने आया है। अब ऐसे में अगर राहुल की एंट्री होती है, तो कहानी बदल सकती है, क्योंकि करीब 7 राज्यों की कांग्रेस इकाई ने उन्हें प्रमुख बनाने की बात का समर्थन किया है।

इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु, जम्मू और कश्मीर का नाम शामिल है। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश यूनिट भी प्रस्ताव पर मुहर लगा सकती है। अब अगर खुद राहुल भी चुनाव में उतरने का ऐलान करते हैं, तो संभावनाएं हैं कि गहलोत कदम पीछे ले सकते हैं। ऐसे में चुनाव सीधा राहुल बनाम थरूर भी हो सकता है।

पार्टी में चुनाव के लिए 24 सितंबर से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है, जो 30 सितंबर तक चलेगी। इसके बाद 17 अक्टूबर को अध्यक्ष पद के लिए मतदान होगा और 19 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। खास बात है कि कांग्रेस ने लंबे समय बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी CWC में भी चुनाव का ऐलान कर दिया है।

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