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IIM के इस कैंपस में कोई भी छात्र पढ़ने को तैयार नहीं

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ student-shimla-56207348905d6_exlबुनियादी सुविधाओं की अनदेखी के चलते देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएम के अस्थायी कैंपस रामपुरघाट में छात्र पढ़ने के लिए तैयार नहीं हैं। रामपुरघाट में एक निजी संस्थान में गत वर्ष से अस्थायी कक्षाएं शुरू की गई थीं, लेकिन बदहाल संपर्क मार्ग के चलते प्रबंधन को प्रथम बैच के 21 शिक्षार्थियों को नोएडा आईआईएम कैंपस में शिफ्ट करना पड़ा।

सभी विद्यार्थी प्लेसमेंट के बाद 11 फरवरी को पांवटा लौट रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2014 के बजट सत्र में हिमाचल को एक आईआईएम देने की घोषणा की थी। 15 अगस्त, 2014 को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सिरमौर के धौलाकुआं में आईआईएम संस्थान खोलने का एलान किया। धौलाकुआं में 1010 बीघा भूमि भी स्थायी कैंपस के लिए चिन्हित की गई।

बीते साल एक सितंबर से 21 विद्यार्थियों की पढ़ाई अस्थायी कैंपस रामपुरघाट स्थित एक निजी संस्थान में शुरू हुई। संस्थान को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग की हालत खराब है। इससे आईआईएम प्रबंधन एवं छात्र खफा थे। सड़क की समस्या को लेकर शिकायत उपायुक्त से लेकर प्रदेश तकनीकी शिक्षा निदेशक राजेश्वर गोयल से की। इसके बाद विश्वकर्मा चौक से डेंटल कॉलेज तक मार्ग ठीक करवा दिया गया।

सड़क के बीच कुछ जगह वन विभाग की जमीन है। वन विभाग की मंजूरी के लिए फाइल अटकी रही। इससे संस्थान ने पढ़ाई एवं प्लसमेंट के चलते यहां के छात्रों को आईआईएम नोएडा शिफ्ट कर दिया। इस प्रतिष्ठित संस्थान में देशभर से शिक्षार्थी आते हैं। साथ ही देश-विदेश की नामचीन कंपनियां प्लेसमेंट को यहां आती हैं।

मार्ग बदहाल होने से दिक्कतें: सक्सेना
आईआईएम संस्थान पांवटा के प्रभारी दिनेश सक्सेना ने कहा कि अस्थायी कैंपस को जाने वाला संपर्क मार्ग बेहद बदहाल है। बेहतर संपर्क सड़क, छोटी सुविधाओं के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। उपायुक्त सिरमौर से लेकर सरकार तक को अवगत करवाया, लेकिन रवैया सहयोगात्मक नहीं था। लखनऊ आईआईएम प्रबंधन पर नए खुले धौलाकुआं आईआईएम को स्टेबलिस करने की जिम्मेदारी है। प्रबंधकों को छात्रों की प्लेसमेंट की चिंता थी। ऐसी परिस्थितियों में बाहर से आने वाली कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता था।

 
 
 

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