अतीक-अशरफ हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने मांगी UP सरकार से 3 हफ्तों में रिपोर्ट
नई दिल्ली: अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के हत्या मामले की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ इस मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में मांग की गई है कि इस पूरे मामले की Supreme Court के रिटायर जज की निगरानी में स्वतंत्र जांच करवाई जाए.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उठाए गए कदमों पर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार हलफनामे में बताएगी कि किन परिस्थितियों में अतीक अशरफ की हत्या हुई. विकास दुबे एनकाउंटर की जांच के लिए गठित की गई जस्टिस बीएस चौहान की रिपोर्ट के आधार पर सरकार नेक्याकदमउठाए. इसकी जानकारी भी सरकार को देनी होगी.
दरअसल, याचिका में ये मांग भी की गई है कि 2017 से उत्तर प्रदेश में अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच सुप्रीम के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक्सपर्ट कमिटी से कराई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि अब इस मामले पर तीन हफ्ते बाद सुनवाई की जाएगी.
वहीं, सुनवाई के दौरान जब पहली याचिका को दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी ने जब अपने तर्क देने शुरू किए, तो उसी समय यूपी के वकील ने पास ओवर मांगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि ये पहली सुनवाई है. अभी तक नोटिस भी नहीं हुआ है और आप पास ओवर मांग रहे हैं.
यूपी के लिए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने इस पूरे हत्याकांड के बारे में बताना शुरू किया. इस दौरान उनसे कुछ तीखे सवाल पूछे गए. पीठ ने पूछा कि हत्यारों को कैसे पता की अतीक वहां आने वाला था. ये भी पूछा गया कि एंबुलेंस को अस्पताल के अंदर क्यों नहीं लेकर जाया गया. आखिर क्यों अतीक-अशरफ की पैदल परेड कराई गई. इस दौरान याचिका दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी ने कहा कि यूपी सरकार खाना पूर्ति कर रही है.
इसलिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में कमीशन बनाया जाए. इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन हमने जांच के लिए दो अलग कमीशन बनाए हैं. रोहतगी ने कहा कि कोर्ट को नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है, हम रिकॉर्ड पेश करेंगे. जस्टिस भट्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कह रहा है कि एक पैटर्न है, हो सकता है कि आयोग एक सैंपल केस ले. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से उठाए गए कदमों पर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है.