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कोविड-19 और ब्रिटेन के भेदभावपूर्ण क्वारंटाइन नियमों के चलते 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स के हॉकी इवेंट से हटा भारत

नई दिल्ली: भारत कोविड-19 से जुड़ी चिंताओं और देश के यात्रियों के प्रति ब्रिटेन के भेदभावपूर्ण क्वारंटाइन नियमों के कारण अगले साल बर्मिंघम में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों की हॉकी प्रतियोगिता से मंगलवार को हट गया। इंग्लैंड भी एक दिन पहले इन्हीं कारणों का हवाला देकर भुवनेश्वर में होने वाले जूनियर मेन्स वर्ल्ड कप से हट गया था। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निंगोबम ने महासंघ के फैसले से भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को अवगत करा दिया है। हॉकी इंडिया ने कहा है कि बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों (28 जुलाई से आठ अगस्त) और हांग्झू एशियाई खेलों (10 से 25 सितंबर) के बीच सिर्फ 32 दिन का अंतर है और वे अपने खिलाड़ियों को ब्रिटेन भेजकर जोखिम नहीं उठाना चाहता जो कोरोना वायरस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल रहा है।

निंगोबम ने लिखा, ‘एशियाई खेल 2024 पेरिस ओलंपिक खेलों के लिए महाद्वीपीय क्वालीफिकेशन प्रतियोगिता है और एशियाई खेलों की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए हॉकी इंडिया राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान भारतीय टीमों के किसी खिलाड़ी के कोविड-19 संक्रमित होने का जोखिम नहीं ले सकता।’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए हॉकी इंडिया अपनी मेन्स और महिला टीमों को कॉमनवेल्थ खेल 2022 के लिए नहीं भेजेगा और आपको समय रहते सूचित किया जा रहा है कि आयोजकों को जानकारी दे दी जाए कि वे रिजर्व टीमों की पहचान करें।’

ब्रिटेन ने हाल में भारत के कोविड-19 टीकाकरण प्रमाण पत्रों को मान्यता देने से इनकार कर दिया था और देश से आने वाले यात्रियों के पूर्ण टीकाकरण के बावजूद उनके लिए 10 दिन का कड़ा क्वारंटाइन अनिवार्य किया है। आईओए अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में निंगोबम ने इस भेदभाव का प्रमुखता से जिक्र किया है, जिन्होंने रिजर्व टीमों के लिए खेल की वैश्विक संचालन संस्था के साथ समन्वय के निर्देश दिए हैं। बत्रा एफआईएच के भी अध्यक्ष हैं।

निंगोबम ने लिखा, ‘इस तरह की भेदभावपूर्ण पाबंदियां भारतीय खिलाड़ियों और अधिकारियों पर हाल में हुए टोक्यो ओलंपिक खेलों के दौरान भी लागू नहीं थी और टीकाकरण करवाने वाले खिलाड़ियों के लिए भी 10 दिन के क्वारंटाइन से उनका प्रदर्शन प्रभावित होगा।’ उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि ये पाबंदियां भारत के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं और काफी दुर्भाग्यशाली हैं।’ इंग्लैंड के कोविड-19 से जुड़ी चिंताओं और भारत सरकार के ब्रिटेन के सभी नागरिकों के लिए 10 दिन का क्वारंटाइन अनिवार्य करने का हवाला देकर भुवनेश्वर में अगले महीने होने वाले एफआईएच पुरुष जूनियर विश्व कप से हटने के एक दिन बाद हॉकी इंडिया ने यह कदम उठाया है।

ब्रिटेन की पाबंदियों के बाद भारत ने भी देश में आने वाले ब्रिटेन के नागरिकों पर उसी तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे। भारत के नए नियमों के तहत ब्रिटेन से यहां आने वाले ब्रिटेन के सभी नागरिकों के टीकाकरण की स्थिति चाहे कुछ भी हो उन्हें यात्रा के 72 घंटे के भीतर आरटी-पीसीआर टेस्ट का नतीजा दिखाना होगा। भारत पहुंचने पर हवाई अड्डे में और फिर आठवें दिन उनके दो और आरटी-पीसीआर टेस्ट होंगे। भारत की मेन्स और महिला दोनों टीमें 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों के पदक राउंड में पहुंची थी, लेकिन ब्रॉन्ज मेडल के प्लेऑफ में इंग्लैंड से हार गई थी। मेन्स टीम को 1-2 जबकि महिला टीम को 0-6 से हार झेलनी पड़ी थी।

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