स्वच्छ सर्वेक्षण में मप्र का डंका, भोपाल सातवें से छठवें स्थान पर आया
भोपाल : नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित स्वच्छता सर्वेक्षण समारोह में एक बार फिर मध्य प्रदेश ने अपना परचम लहराया है। मध्य प्रदेश को 100 से अधिक शहरों वाले राज्यों की श्रेणी में देश का सबसे स्वच्छ राज्य चुना गया है। पिछले साल मप्र राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद तीसरे नंबर पर था। वहीं स्वच्छ शहरों की श्रेणी में राजधानी भोपाल की रैंकिंग भी सुधरी है। भोपाल को देश का छठवां सबसे स्वच्छ शहर चुना गया है। पिछली बार यह 7वें स्थान पर था। इंदौर ने एक बार फिर देश भर में अपनी श्रेष्ठता साबित करते हुए स्वच्छता का सिक्सर लगाया। इंदौर को लगातार छठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर चुना गया।
स्वच्छता के क्षेत्र में मप्र और इसके शहरों का डंका बजने पर सीएम शिवराज सिंह चौहान भी खुशी से गद्गद हैं। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट के जरिए अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में 100 से अधिक शहरों वाले राज्यों की श्रेणी में सबसे स्वच्छ राज्य बनने का गौरव हासिल करने पर मध्यप्रदेश की जनता का हार्दिक अभिनंदन। इसके साथ ही सीएम शिवराज ने स्वच्छता के संकल्प को लेकर लगातार मार्गदर्शन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आभार व्यक्त किया।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में भोपाल टाप पांच में आएगा, ऐसी उम्मीद निगमायुक्त केवीएस चौधरी के अलावा तमाम शहरवासियों को भी थी। लेकिन रैंकिंग में मामूली सुधार ही हुआ। पिछली बार वाटर प्लस और स्टार रेटिंग में शहर पिछड़ गया था। गौरतलब है कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में भोपाल नगर निगम को तीन स्टार रेटिंग व ओडीएफ सर्टिफिकेशन से ही संतोष करना पड़ा था। स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में स्वच्छ तकनीक चैलेंज, सिटीजन इनोवेशन के साथ गार्बेज फ्री सिटी व ओपन डेफेकेशन फ्री के सर्टिफिकेशन में बदलाव किया है।
निगमायुक्त समेत प्रतिबंध के बाद भी पालीथिन बाजारों में चल रही है। बर्तन केंद्र भी लगभग बंद हैं, गीले और सूखे कचरे को घरों से एकत्रित किया जा रहा है, लेकिन बल्क जनरेटर के यहां इनका निष्पादन नहीं है। गीले कचरे को निष्पादित करने के प्लांट बंद है। अभी आदमपुर खंती को पूरी तरह विकसित नहीं कर पाए हैं। हाल ही में ठेकेदार पर इसके लिए जुर्माना किया गया है। यूजर चार्ज जरूर दोगुने कर दिए हैं। स्मार्टबिन पूरी तरह बंद हो गए हैं, ये फिलहाल किसी काम के नहीं हैं। स्वीपिंग मशीनें भी सिर्फ दिखावटी ही साबित हो रही हैं, 10 हजार हाउस होल्ड शौचालयों का काम भी पूरा नहीं हो सका है। मनुआभान की टेकरी पर निगम अब अपने 50 एमजीडी पानी से निकलने वाले वेस्ट वाटर में से तीन एमजीडी को फिर से उपयोग लायक बनाने अभी प्लान बनाया जा रहा है।
कोलार क्षेत्र में विध्वंस मलबे से अन्य सामग्री बनाने का प्लांट चालू किया गया है, जिससे अच्छा काम हो रहा है। भानपुर खंती का कायाकल्प भी मिसाल बन गई है। शहर में नौ नए एसटीपी बनाए गए हैं, इससे कुल 17 एसटीपी हो गए हैं। इनमें से अधिकतर बड़े और छोटे तालाब पर हैं। लेकिन स्वच्छ सर्वे 2022 के नतीजे बताते हैं कि प्रयासों में अभी भी कसर बाकी है।