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नोबेल पुरस्कार वितरण समारोह पर विशेष : वर्ष 2020 के नोबेल पुरस्कार

श्वेता गोयल : स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की पुण्य स्मृति में नोबेल फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाला दुनिया का सर्वोच्च सम्मान ‘नोबेल पुरस्कार’ शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान तथा अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रदान किया जाता है। प्रतिवर्ष नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा अक्तूबर माह में ही कर दी जाती है। इन सभी विजेताओं को स्टॉकहोम में आयोजित भव्य समारोह में 10 दिसम्बर को विश्व का यह सर्वोच्च पुरस्कार दिया जाता है।

आइए देखते हैं, इस वर्ष दुनिया की किन हस्तियों को किस विशिष्ट क्षेत्र के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जा रहे हैं।शांतिइस वर्ष शांति के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा नॉर्वे की नोबेल समिति द्वारा 9 अक्तूबर को की गई थी। इसबार यह पुरस्कार किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि संस्था को मिला है। पुरस्कार के लिए दुनियाभर से 211 व्यक्तियों और 107 संगठनों को नामित किया गया था। कोरोना संकट, सैन्य संकट तथा अन्य मुश्किल दौर में दुनियाभर में बड़े पैमाने पर जरूरतमंदों को खाना खिलाने और शांति कायम करने से जुड़े सराहनीय कार्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की भूख के खिलाफ संघर्षरत एजेंसी ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ को यह पुरस्कार दिया जा रहा है। नोबेल कमेटी के अनुसार ‘वर्ल्ड फूड प्रोग्राम’ दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है, जिसने पिछले साल खाद्य असुरक्षा के शिकार 88 देशों के 100 मिलियन लोगों को खाना मुहैया कराया।

नोबेल समिति की विज्ञप्ति के अनुसार युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में शांति की स्थापना और युद्ध के हथियार के रूप में भूख के उपयोग को रोकने के लिए ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ के प्रयास सराहनीय हैं। समिति के बयान में कहा गया कि ऐसी संस्था को पुरस्कार मिलने से सभी देशों का ध्यान इस ओर जाएगा और लोगों को मदद मिलेगी।साहित्यसाहित्य के लिए इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार वर्ष 1943 में न्यूयॉर्क में जन्मी 77 वर्षीय अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लिक को उनकी अचूक काव्यात्मक आवाज के लिए दिए जाने की घोषणा 8 अक्तूबर को स्वीडिश अकादमी द्वारा की गई। ग्लिक फिलहाल येल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं, जिनकी पहली रचना ‘फर्स्टबोर्न’ 1968 में प्रकाशित हुई थी।

स्वीडिश अकादमी का कहना है कि ग्लिक की कविताओं की आवाज ऐसी है, जिनमें कोई गलती हो ही नहीं सकती और उनकी कविताओं की सादगी भरी सुंदरता उनके व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक बनाती है। अकादमी के अनुसार ग्लिक का 2006 का संग्रह ‘एवर्नो’ एक उत्कृष्ट संग्रह था। ग्लिक अपनी रचनाओं में ग्रीक पौराणिक कथाओं तथा पर्सपेफोन, एरीडाइस जैसे उसके पात्रों से भी प्रेरणा लेती हैं, जो अक्सर विश्वासघात का शिकार होते हैं। उनकी कविताएं मानवीय दर्द, मौत, बचपन, पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनकी जटिलताओं को बयान करती हैं। उन्हें वर्ष 1993 में उनकी रचना ‘द वाइल्ड आइरिश’ के लिए पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था। इसके अलावा उन्हें वर्ष 2001 में बोलिंजन प्राइज फॉर पोएट्री, 2008 में वालेस स्टीवेंस पुरस्कार, 2014 में नेशनल बुक अवार्ड तथा 2015 में नेशनल ह्यूमेनिटीज मैडल जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।

अर्थशास्त्रअर्थशास्त्र के क्षेत्र में वर्ष 2019 में कुल तीन अर्थशास्त्रियों को यह सम्मान दिया गया था। इसबार यह पुरस्कार दो अर्थशास्त्रियों को दिया जा रहा है। इस वर्ष यह पुरस्कार दो अमेरिकी अर्थशास्त्रियों पॉल आर मिलग्रोम तथा रॉबर्ट बी विल्सन को संयुक्त रूप से दिए जाने की घोषणा 12 अक्तूबर को स्टॉकहोम में रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा की गई। ऑक्शन थ्योरी (नीलामी सिद्धांत) में सुधार लाने और नीलामी के नए तरीकों का आविष्कार करने के लिए मिलग्रोम और विल्सन को यह पुरस्कार दिया गया है। दोनों अर्थशास्त्री अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं, जिन्होंने ऐसी वस्तुओं और रेडियो फ्रीक्वेंसी जैसी सेवाओं के लिए नए नीलामी प्रारूप तैयार किए, जिन्हें पारम्परिक तरीके से बेचना मुश्किल है। इन अर्थशास्त्रियों ने अध्ययन किया कि नीलामी प्रक्रिया कैसे काम करती है और इनकी खोजों से दुनियाभर के विक्रेता, खरीदार और करदाताओं को लाभ पहुंचा है।

चिकित्साचिकित्सा के क्षेत्र में इस साल हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज करने वाले तीन वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। कैरोलिंस्का इंस्टीच्यूट की नोबेल असेम्बली द्वारा 5 अक्तूबर को इस सम्मान की घोषणा की गई। पुरस्कार के लिए हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज के लिए संयुक्त रूप से तीन वैज्ञानिकों को चुना गया। ये तीनों वैज्ञानिक हैं- अमेरिकी वैज्ञानिक हार्वि जे आल्टर, चार्ल्स एम राइस और ब्रिटेन के माइकल हागटन। हेपेटाइटिस को एक क्रॉनिक बीमारी की श्रेणी में रखा जाता है, जो लीवर से जुड़ी बीमारियों तथा कैंसर का प्रमुख कारण है। नोबेल समिति के प्रमुख थॉमस पर्लमैन के अनुसार इन वैज्ञानिकों की खोज ने गंभीर हेपेटाइटिस के बाकी मामलों के कारणों का पता लगाने, रक्त परीक्षण और नई दवाओं के निर्माण को संभव बनाया है, जिससे लाखों लोगों की जान बचाई जा सकी है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के मुताबिक विश्वभर में हेपेटाइटिस के करीब सात करोड़ मामले हैं और इस बीमारी के कारण प्रतिवर्ष करीब चार लाख लोगों की मौत हो जाती है।भौतिकीभौतिकी का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों ब्रिटेन के रोजर पेनरोज, जर्मनी के रेनहर्ड गेंजेल तथा अमेरिका की एंड्रिया गेज को संयुक्त रूप से दिए जाने की घोषणा 6 अक्तूबर को रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंसेज द्वारा स्टॉकहोम में की गई। रोजर पेनरोज को अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत के आधार पर ब्लैकहोल के निर्माण का पता करने के लिए मैथेमैटिकल मॉॅडल्स तैयार करने के लिए यह पुरस्कार मिला है। ब्लैक होल ब्रह्मांड का वह हिस्सा है, जहां गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा है कि रोशनी भी इस क्षेत्र से वापस नहीं आ सकती। रोजर ने दिखाया कि ब्लैक होल अल्बर्ट आइंस्टाइन के जनरल रिलेटिविटी के सिद्धांत का जरूरी परिणाम था और उन्होंने यह कहने के लिए सैद्धांतिक नींव रखी कि ब्लैक होल मौजूद है और अगर आप उनकी तलाश करें तो उन्हें पा सकते हैं। रेनहर्ड गेंजेल और एंड्रिया गेज को ब्रह्माण्ड के रहस्यों को समझाने के लिए भौतिका का नोबेल दिया गया है।

इन्होंने हमारी आकाशगंगा के केन्द्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल का अबतक का सबसे ठोस सबूत प्रदान किया है। इनके मुताबिक अनेक तारे किसी ऐसी चीज की परिक्रमा कर रहे थे, जो अबतक उन्होंने नहीं देखी, यह एक ब्लैक होल था, जो कोई साधारण ब्लैक होल नहीं बल्कि ‘सुपरमैसिव ब्लैक होल’ था, जो सूर्य से 40 लाख गुना अधिक द्रव्यमान का था। भौतिकी के नोबेल पुरस्कार की आधी राशि रोजर पेनरोज को जबकि शेष आधी राशि रेनहर्ड तथा एंड्रिया को समान रूप से दी जाएगी।रसायन विज्ञानरसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा 7 अक्तूबर को स्टॉकहोम में रॉयल स्वीडिश अकादमी द्वारा की गई। इस वर्ष ये पुरस्कार दो महिला वैज्ञानिकों फ्रांस की विज्ञानी इमैनुएल शारपेंतिए तथा अमेरिकी बायोकेमिस्ट जेनिफर ए डोडना को ‘जीनोम एडीटिंग’ की एक पद्धति विकसित करने के लिए दिया गया है। दोनों महिला विज्ञानियों ने जीन प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण टूल ‘सीआरआइएसपीआर-सीएएस9’ विकसित किया है, जिसे ‘जेनेटिक सीजर्स’ नाम दिया गया है। नोबेल समिति के अनुसार इनके प्रयोग से शोधकर्ता जानवरों, पौधों और सूक्ष्मजीवों के डीएनए को अत्यधिक उच्च परिशुद्धता के साथ बदल सकते हैं। यह क्रांतिकारी तकनीक चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। यह न सिर्फ नए कैंसर उपचार में योगदान दे रही है बल्कि विरासत में मिली बीमारियों के इलाज के सपने को भी सच कर सकती है।

(लेखिका शिक्षिका हैं।)

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