बिहारराज्य

नीतीश कुमार के विश्वास प्रस्ताव पर समर्थक MLA की बढ़ चुकी है संख्या

पटना : बिहार विधानसभा की दो दिवसीय विशेष सत्र आज से शुरू है। सत्र के पहले दिन ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सदन में बहुमत साबित करना है। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में सामान्य बहुमत के लिए महागठबंधन सरकार को 122 एमएलए का समर्थन चाहिए। हालांकि, दो सीटें खाली होने की वजह से यह जादुई आंकड़ा अभी और कम है। लेकिन, तथ्य यह है कि नीतीश सरकार को सामान्य से कहीं ज्यादा बहुमत हासिल है और इसलिए इस टेस्ट में कोई संकट नहीं दिखाई देता। ऊपर से सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों की संख्या आखिरी समय तक बढ़ती ही जा रही है और एआईएमआईएम के आखिरी बचे विधायक ने भी मंगलवार को सरकार के पक्ष में मतदान करने का ऐलान कर दिया है।

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में इस समय विधायकों की कुल संख्या 241 है। दो सीटें खाली हैं। लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को समर्थन देने वाले एमएलए का आंकड़ा मंगलवार तक ही 165 पहुंच चुका था। जब नीतीश कुमार ने पिछले 9 अगस्त को राज्यपाल फागू चौहान के सामने सरकार बनाने का दावा पेश किया था, तो उनके पास 163 एमएलए के समर्थन की चिट्ठी थी। इसमें कुल सात दल और एक निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह ने उन्हें अपना समर्थन दिया था। आज की तारीख में नीतीश को कुल 8 पार्टियों और एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है, जबकि जादुई आंकड़ा घटकर सिर्फ 121 ही रह गया है।

नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार को जिन 8 दलों का समर्थन हासिल है, उनमें आरजेडी (79 विधायक), जेडीयू (45), कांग्रेस (19), सीपीआई-एमएल (12), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर (4), सीपीएम (2) और एक मंत्री और निर्दलीय विधायक सुमित कुमार शामिल हैं। इसमें अब हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के एकमात्र विधायक ने भी इन्हें बाहर से अपना समर्थन देने का ऐलान किया है।

जबकि बीजेपी मुख्य विपक्षी पार्टी है, जिसके पास 76 विधायक हैं और यह अकेली विपक्षी पार्टी है। विधानसभा के लिए तय किए गए विधायी कार्य के हिसाब से पहले मौजूदा स्पीकर विजय कुमार सिन्हा का शुरुआती भाषण होगा और दोनों सदनों की विभिन्न कमिटियों की रिपोर्ट सदन पटल पर रखी जाएगी। फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वास प्रस्ताव पर मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी। हालांकि, मंगलवार को सत्ताधारी जदयू की ओर से मांग की गई कि सबसे पहले स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर नोटिस पर फैसला लिया जाए और उन्हें सदन को संचालित करने की अनुमति ना दी जाए। गौरतलब है कि स्पीकर भाजपा से हैं और कल तक उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार किया था।

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