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कर्नाटक राज्य में लागू की गई OPS, हजारों कर्मचारियों को मिलेगा फायदा

बेंगलुरु : कांग्रेस शासित एक और राज्य ने अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को लागू कर दिया है। जी हां, कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने 2006 के बाद भर्ती हुए लगभग 13,000 राज्य सरकार के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के तहत कवर करने के लिए एक अधिसूचना जारी की है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि जब सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के खिलाफ हड़ताल पर थे तो उन्होंने उनसे इस मांग को पूरा करने का वादा किया था।

उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “2006 के बाद भर्ती हुए राज्य सरकार के लगभग 13,000 सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल करने का आदेश जारी किया गया है। चुनाव से पहले भी जब राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के खिलाफ कर्मचारी हड़ताल पर थे, तो मैंने वहां का दौरा किया था और इसे पूरा करने का वादा किया था।”

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि इस फैसले से 13,000 एनपीएस कर्मचारियों के सभी परिवारों को राहत मिली होगी।” पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन का हकदार होता है। मासिक पेंशन आम तौर पर व्यक्ति के अंतिम आहरित वेतन का आधा होता है। नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपने वेतन का एक हिस्सा पेंशन फंड में योगदान करते हैं। इसके आधार पर, वे रिटायरमेंट पर एकमुश्त राशि के हकदार हैं। पुरानी पेंशन योजना दिसंबर 2003 में बंद कर दी गई और नई पेंशन योजना 1 अप्रैल 2004 को लागू हुई।

भजनलाल सरकार ने पहली नियुक्ति में ही कर्मचारियों पर एनपीएस लागू कर दिया है। आदेश में ओपीएस का कहीं जिक्र नहीं है। मतलब साफ है कि राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं होगी। राजस्थान की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने नई पेंशन स्कीम की जगह ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की थी, लेकिन भजनलाल शर्मा सरकार ने नवनियुक्त कार्मिकों के लिए ओपीएस के बजाय दोबारा एनपीएस लागू करने का आदेश जारी किया है।

पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकारी कर्मचारी रिटायर होने के बाद मासिक पेंशन के हकदार होते हैं. ये पेंशन कर्मचारियों के अंतिम आहरित सैलरी का आधा होता है. जबकि नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को अपनी सैलरी का एक हिस्सा पेंशन फंड में देना होता है. इसके आधार पर कर्मचारी रिटायरमेंट पर एकमुश्त रकम के हकदार होते हैं. आपको बता दें कि दिसंबर 2003 में पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था और एक अप्रैल 2004 से नई पेंशन योजना लागू की गई थी.

इससे पहले सीएम सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया था. सीएम ने कहा था कि पीएम मोदी ने हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. 10 सालों में 20 करोड़ नौकरियां दी जानी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सिद्धारमैया 24 जनवरी को मुथ्टिनामुलुसोगे में एक सभा के दौरान नौकरियों को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की और अब पुरानी पेंशन स्कीम के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है.

आपको बता दें कि नई पेंशन स्कीम और पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर कर्मचारियों और सरकारों के बीच जंग चल रही है. ये एक चुनावी मुद्दा भी है. कई सियासी दलों ने इसे लागू करने की मांग की है, जबकि केंद्र की बीजेपी सरकार इसके लिए तैयार नहीं है.

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