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राम की तपोभूमि चित्रकूट के पंचमुखी भगवान शिव के दर्शन से मिलती है पुनर्जन्म से मुक्ति

भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट अपनी धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक महत्ता के लिए समूचे विश्व में विख्यात है। धर्म नगरी के भरतकूप क्षेत्र में घने जंगलो के बीच करीब ढ़ाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर मड़फा किले के रूप में विख्यात आदि ऋषि मांडव्य जी का आश्रम है। इस प्राचीन मडफा आश्रम में नृत्यमुद्रा में विराजमान पंचमुखी भगवान शिव की महिमा का बखान वेदो और पुराणों में भी मिलता है।

इस दिव्य धाम की ऐसी महिमा है कि यहां स्थित कुंड के जल में आस्था की डुबकी लगाकर भगवान शिव का पूजन करने से कुष्ठ रोग से निजात मिलने के साथ-साथ पुनर्जन्म से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा इसी प्राचीन आश्रम में महाराजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला ने पुत्र भरत को जन्म दिया था।

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट विश्व के अनादि, अचल और ऐतिहासिक पावन तीर्थो में से एक है। इस प्राचीन धर्म स्थली में स्वयं सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रम्हा समेत अगस्त, अत्रि, बाल्मीकि आदि प्रख्यात ऋषि-मुनियों ने तपस्या की है। इसी वजह से ब्रम्हांड के सबसे श्रेष्ठ स्थल चित्रकूट की तुलना स्वर्गलोक से भी नहीं की जा सकती है।

लगभग 84 कोस में फैले चित्रकूट में विविध प्रकार के शिखर (कूट) स्थित है। जिसमें से एक भरतकूप क्षेत्र में घने जंगलो के बीच करीब ढ़ाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर मड़फा किले के रूप में विख्यात आदि ऋषि मांडव्य जी का आश्रम है। इस प्राचीन आश्रम में भगवान शकर अपने पंचमुखी रूप में सशरीर विद्यमान हैं। नृत्यमुद्रा में विराजमान पंचमुखी भगवान शिव की महिमा का बखान वेदो और पुराणों में भी मिलता है।

मानपुर गांव से सटे मड़फा पहाड़ पर स्थित इस पावन शिव धाम पर करीब दो सौ मीटर की ऊंची चढ़ाई चढ़कर पहुंचा जा सकता है। घनघोर जंगल में स्थित इस शिवालय में उपासना करने से जहाँ लोगों के मन की मुरादें पूरी होती हैं।

वही न्यग्रोध कुंड (तालाब) में स्नान करने से कुष्ठ रोग (चर्म रोग) से मुक्ति मिलने का उल्लेख है। इस दिव्य स्नान को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां पर ऋषि मांडव्य ने तपस्या की थी। इसी तपोस्थली पर महाराज दुष्यंत की पत्नी शकुंतला ने पुत्र भरत को जन्म दिया था। इसी तालाब के पास चंदेलकालीन वैभवशाली नगर के ध्वंशावशेष भी देखे जा सकते हैं।

यहां पर जैन धर्म के प्रर्वतक आदिनाथ के भी यहां पर आने की बात कही जाती है। महाशिवरात्रि व सावन के सोमवार में यहां सदियों से मेला लगता रहा है। धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस प्राचीन धरोहर को केंद्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है।

चित्रकूट के सुप्रसिद्ध संत राम हृदयदास महाराज व डॉ रामनारायण त्रिपाठी मडफा किले की महिमा बताते है कि देवराज इंद्र ने वेदवती नामकी अपूर्व सुंदरी अप्सरा को कोढ़ (कुष्ठ) होने का शाप दिया था। शापग्रस्त अप्सरा के अनुनय विनय करने पर इंद्र ने माण्डव ऋषि के आश्रम में स्थित न्यग्रोध कुंड में स्नान करके वहां विराजमान पंचमुखी भगवान शिव की उपासना से शापमुक्त होने का मार्ग बताया था। आज भी देश भर से लोग कुष्ठ निवारण के लिए यहाँ आते है। इसके अलावा यहाँ स्थापित पंच मुखी शिव के दर्शन और उपासना करने से पुनर्जन्म से मुक्ति मिलने की मान्यता है।

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वही, भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवन दास महाराज एवं भागवत कर्था मर्मज्ञ आचार्य नवलेश दीक्षित महाराज का कहना है चित्रकूट में अनेक धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व के तीर्थ स्थल है। शासन -प्रशासन, पुरातत्व विभाग एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते चित्रकूट की प्राचीन धरोहरों का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है।

इसके अलावा मंदिर के विकास के लिए चिंतित समाजसेवी दिनेश सिंह ने शासन से मडफा धाम में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रोपवे बनवाने एवं विद्युत व पेयजल का इंतजाम करने की मांग की है।

वहीं, बांदा-चित्रकूट सांसद आर. के. सिंह पटेल का कहना है कि धर्म नगरी चित्रकूट विश्व के प्रमुख तीर्थो में से एक है। पूरा तीर्थ क्षेत्र धार्मिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों से भरा पडा है। उन्होंने कहा कि, मडफा भगवान शिव का प्राचीन धाम है। बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ से मडफा धाम समेत चित्रकूट के सभी प्राचीन धरोहरों के पर्यटन विकास के की मांग की गई है।

वहीं, जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय का कहना है कि पर्यटन विभाग को मडफा मंदिर के विकास की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिये जा चुके है। जल्द ही उक्त प्राचीन धार्मिक स्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा।

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