उज्जैन में एक दिन में लाखों दिए प्रज्ज्वलित कर जनता ने दिखाई अनोखी शिव भक्ति
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) ने एक नया कीर्तिमान (set a new record) जन-भागीदारी से बना लिया है। यूं तो अनेक योजनाओं में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है, लेकिन महाकाल की नगरी उज्जैन (Ujjain, the city of Mahakal) में लाखों दीप महाशिवरात्रि (Lakhs of Deep Mahashivratri) के मौके पर मंगलवार की संध्या को टिमटिमाए और प्रदेश के खाते में एक नया कीर्तिमान दर्ज हो गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) इसके साक्षी बने। लाखों लोगों के चेहरे पर इस उपलब्धि से नई कांति दिख रही थी। उज्जैन नगर में बने रिकार्ड से जन-जन में गर्व की भावना महसूस की जा रही है। मुख्यमंत्री ने इस कीर्तिमान को भगवान भोलेनाथ की कृपा माना है। शिव भक्ति का अनोखा उदाहरण माना है। साथ ही इसे जन-भागीदारी का भी अद्भुत प्रसंग माना है।
मध्यप्रदेश है देश में श्रद्धालुओं का केंद्र
मध्यप्रदेश में क्षिप्रा नदी के पावन तट पर बसे उज्जैन का अपना महत्व है। मध्यप्रदेश राम राजा की नगरी ओरछा, ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर, महेश्वर, पीतांबरा माई की नगरी दतिया, शारदा माता मैहर, सलकनपुर वाली मैया और कितने ही धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व के स्थान, मध्यप्रदेश के नागरिकों के ही नहीं बल्कि देश भर के श्रद्धालुओं की श्रद्धा के केंद्र हैं।
उज्जैन के नागरिकों की उमंग
गौरतलब है कि प्रति 12 वर्ष में उज्जैन में सिंहस्थ के आयोजन से इस नगर की पहचान है। सम्राट विक्रमादित्य के शासन को आज भी याद किया जाता है। इस उज्जैन नगर में स्वैच्छिक रूप से कीर्तिमान के निर्माण में जुटे कार्यकर्ताओं का उत्साह एक मार्च की शाम देखने को मिला, जब महाशिवरात्रि पर्व पर क्षिप्रा नदी के घाटों सहित घर-घर में जलाए गए दीपक उज्जैन के मस्तक पर नए रिकॉर्ड का सेहरा बांध रहे थे। उज्जैन के नागरिकों की उमंग रामघाट, गुरुनानक घाट, नृसिंह घाट सहित अन्य घाटों पर देखते ही बनती थी।
जब क्षिप्रा से मिली नर्मदा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से पिछले सिंहस्थ के समय क्षिप्रा नदी में प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा जी के जल को लाया गया था। पुराने घाटों का जीर्णोंधार और नए घाटों का निर्माण हुआ। विशेष विद्युत सज्जा की व्यवस्था की गई थी और तब से प्रमुख त्यौहारों पर पवित्र नगरी उज्जैन की अलग ही छटा बनने लगी है। लेकिन एक मार्च का नजारा तो बिल्कुल अलग था। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि क्षिप्रा के साथ ही रुद्रसागर आदि में जल राशि सदैव बनी रहे। स्वच्छता, सौन्दर्यीकरण और श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएँ मिलती रहें। उज्जैन के श्रद्धा केंद्रों के निकट वातावरण पावन,आध्यात्मिक और हृदय को संतोष का अनुभव कराने वाला बना रहे।
कोरोना काल के नैराश्य की समाप्ति
उज्जैन में प्रदर्शित जन-उत्साह के मनोविज्ञान को समझें तो कोरोना काल के नैराश्य की समाप्ति करने की जन-अभिलाषा कल के घर-घर दीप जलाने और घाट-घाट को दियों से जगमगाने के कार्य के साथ देखने को मिलती है। जनता की भागीदारी इस दृष्टि से तार्किक प्रतीत होती है। तमाम प्रतिबंधों के साथ 2 वर्ष की अवधि व्यतीत करने वाले नागरिक अब अपनी दिनचर्या और जीवनचर्या में वही पुराना उत्साह, उमंग और प्रसन्नता का भाव लाना चाहते हैं। एक मार्च को उज्जैन में लाखों दीपक जलाने के अभियान से आमजन की इस भावना को अभिव्यक्ति मिली है।