राष्ट्रीय

स्टॉकिंग देश में कितनी बड़ी समस्या? दुमका केस अकेला नहीं, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मामले

नई दिल्ली : झारखंड के दुमका में एक लड़की को आग लगा दी गई। परिणाम यह हुआ कि बुरी तरह झुलसी युवती ने पांच दिनों बाद अस्पताल में दम तोड़ दिया। मामले का आरोपी शख्स शाहरुख उसे कथित तौर पर स्टॉक कर रहा था। अब सवाल उठता है कि स्टॉकिंग देश में कितनी बड़ी समस्या है? NCRB के आंकड़े इस संबंध में चिंतित करने वाले आंकड़े पेश कर रहे हैं। विस्तार से समझते हैं।

IPC की धारा 354D के अनुसार, कोई भी पुरुष जो ऐसी महिला की तरफ से साफतौर पर अरुची के संकेत मिलने के बाद भी निजी स्तर पर बातचीत बढ़ाने के लिए उसका पीछा करता है, बात करता है या बात करने की कोशिश करता है। साथ ही इंटरनेट, ईमेल के जरिए भी नजर रखना भी इसी श्रेणी में आता है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक, स्टॉकिंग की समस्या बीते कुछ सालों में बढ़ी है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में स्टॉकिंग के 9 हजार 285 मामले सामने आए। 2020 में यह आंकड़ा 8 हजार 512 और 2019 में 8 हजार 810 पर था। इस दौरान 2 हजार 131 मामलों के साथ महाराष्ट्र शीर्ष पर है। इसके बाद 2021 में तेलंगाना में 1 हजार 265 मामले दर्ज किए गए। आंध्र प्रदेश में यह संख्या 1 हजार 185 थी। शहरों के मामले में मुंबई स्टॉकिंग के सबसे ज्यादा पीड़ित सामने आए। यहां आंकड़ा 444, दिल्ली में 268 और हैदराबाद में 160 पर रहा।

भाषा के अनुसार, झारखंड उच्च न्यायालय ने दुमका में स्कूली छात्रा की मौत के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मंगलवार को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। पीठ के समन पर डीजीपी नीरज सिन्हा अदालत में उपस्थित हुए थे। मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण की खंडपीठ ने मामले में स्थिति रिपोर्ट जमा करने को कहा है।

Related Articles

Back to top button