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न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अहम मैच में प्लान बी के साथ उतरेगी टीम इंडिया, पूरी रणनीति है तैयार

न्यूज़ीलैंड की मंगलवार को हार से भारतीय खेमे में थोड़ी राहत है. अब उसकी नजर न्यूज़ीलैंड के खिलाफ जीत पर है. नेट रन रेट का जो पेच फंसता दिख रहा था वो दबाव अब कम हुआ है. आईसीसी जैसे ‘मल्टी टीम इवेंट’ में होता भी यही है कि अपने प्रदर्शन के साथ साथ दूसरी टीमों के प्रदर्शन पर भी नजर टिकी रहती है. इसी के हिसाब से टीम की रणनीति बनती-बदलती है. पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड के अलावा दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज के मैच में जो हुआ उससे टीम इंडिया भी बेखबर नहीं है. बुधवार को भारतीय टीम ‘ऑप्शनल’ प्रैक्टिस करेगी. यानी जरूरी नहीं है कि सभी खिलाड़ी प्रैक्टिस करें. लेकिन टीम में इस बात को लेकर सहमति बन गई है कि न्यूज़ीलैंड के खिलाफ स्ट्राइक रेट नहीं बल्कि स्ट्राइक रोटेट की रणनीति के साथ मैदान में उतरेंगे. इसका सीधा मतलब ये है कि बल्लेबाज बड़े बड़े शॉट्स खेलने की बजाए एक-एक दो-दो रन लेकर स्कोरबोर्ड को मजबूत करेंगे.

वेस्टइंडीज की टीम टी20 वर्ल्ड कप की डिफेंडिंग चैंपियन थी. इससे पहले उसने 2012 में भी टी20 वर्ल्ड कप जीता था. वेस्टइंडीज इकलौती टीम है जिसने इस खिताब पर दो बार कब्जा किया है. लेकिन अपने पहले ही मैच में वो सिर्फ 55 रन पर ढेर हो गई. इंग्लैंड के खिलाफ उस मैच में दुबई की पिच की दुहाई दी गई. इसके बाद हालांकि उसी पिच पर भारत और पाकिस्तान का मैच भी था. जिसमें दोनों टीमों ने मिलकर करीब 300 रन बनाए. वेस्टइंडीज का अगला मुकाबला दक्षिण अफ्रीका की टीम से था. टूर्नामेंट में बने रहने के लिए उसे जीत चाहिए थी. लेकिन कैरिबियाई खिलाड़ियों ने स्ट्राइक रोटेट करने की बजाए स्ट्राइक रेट पर ज्यादा ध्यान दिया.

वेस्टइंडीज ने दक्षिण अफ्रीका को 144 रन का लक्ष्य दिया. जिसे दक्षिण अफ्रीका ने मैच खत्म होने में 10 गेंद बाकी रहते ही हासिल कर लिया. वेस्टइंडीज की बल्लेबाजी का आंकलन करने पर ये बात और साफ हो जाएगी. निकोलूस पूरन ने 172 की स्ट्राइक रेट से 12 रन बनाए. क्रिस गेल ने 100 की स्ट्राइक रेट से 12 रन बनाए. कीरॉन पोलार्ड ने 130 की स्ट्राइक रेट से 26 रन बनाए. आंद्रे रसेल ने 125 की स्ट्राइक रेट से 5 रन बनाए. ड्वेन ब्रावो ने 160 की स्ट्राइक रेट से 8 रन बनाए. यानी 6 बल्लेबाजों ने 100 से कहीं ज्यादा की स्ट्राइक रेट से रन बनाए. सभी ने बड़े बड़े शॉट्स खेलने की कोशिश की. लेकिन किसी ने भी क्रीज पर टिकने या फिर स्ट्राइक रोटेट करके रन बनाने का प्रयास कम ही किया. 56 गेंद पर कोई रन नहीं बने. 9 ओवर से ज्यादा की गेंद बड़े शॉट्स खेलने के प्रयास में बेकार गईं. जबकि मैच जीतने वाली दक्षिण अफ्रीका की टीम ने 34 डॉट बॉल खेलीं. ये अलग बात है कि उनके बल्लेबाज मार्करम ने भी 197 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए.

आप फटाफट क्रिकेट के इतिहास को उठाकर देखिए कितने मैच होंगे जब एक ओवर में 6 गेंद पर 6 छक्के लगे हों या 6 चौके लगें हों. ऐसा गिनी चुनी बार हुआ है. असल में बुद्धिमानी इसी में है कि अगर विरोधी टीम की अच्छी गेंदबाजी, पिच के मिजाज या किसी और वजह से बड़े शॉट्स नहीं लग रहे हैं तो एक-एक दो-दो रन लिए जाएं. पाकिस्तान के खिलाफ मैच में भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज पहले दो ओवर में ही पवेलियन लौट चुके थे.

विराट कोहली ने सिर्फ 116 की स्ट्राइक रेट से रन बनाए. लेकिन उनके 57 रन की बदौलत ही भारतीय टीम सम्मानजनक स्कोर तक पहुंची वरना मिडिल ऑर्डर में ज्यादातर बल्लेबाजों ने हवाई शॉट्स खेले. जिसका नतीजा ये हुआ कि आखिरी ओवर में भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी जैसे गेंदबाज क्रीज पर थे. सबक सीधा है कि प्लेइंग 11 में ‘लाइसेंस टू किल’ हर बल्लेबाज के पास नहीं होना चाहिए. यानी हर बल्लेबाज को सिर्फ इस मंशा से नहीं उतरना चाहिए कि सिर्फ चौके छक्के की भाषा में बात करनी है.

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