दस्तक-विशेष

फुटबाल का उद्दाम पक्ष ! रोनाल्डो प्रकरण !!

के. विक्रम राव

स्तंभ: एक पैगाम, बल्कि चेतावनी, आज (7 दिसंबर 2022) फिर आई है। “घमंडी का सर नीचा” वाली पुरानी कहावत को चरितार्थ करती हुई। तीन हजार किलोमीटर दूर कतर की लुसैल फुटबॉल स्टेडियम में पुर्तगाल ने स्विजरलैंड को आज तड़के भोर में पांच गोल से पीट दिया। उसके शीर्षतम खिलाड़ी क्रिश्चियानो रोनाल्डो नही खेले। उन्हे टीम से बाहर निकाला गया था। टीम कोच फर्नांडो सांदोस का यह सुविचारित निर्णय था। दिखा दिया कि हर विजय केवल गर्वीले रोनाल्डो के कारण ही नहीं मिलती।

इस संदर्भ में खेलप्रेमी याद करते हैं (16 जून 2021 को)। यूरो टूर्नामेंट की प्रेस कॉन्फ्रेंस का नजारा था, जब नाराज रोनाल्डो ने टेबल पर रखे कोकोकोला बोतलों को हथेली से मारकर गिरा दिया था, फोड़ दिया था। नतीजन इस विश्वव्यापी पेय कंपनी के 32 खरब रुपयों के बराबर शेयर अंतराष्ट्रीय स्टॉक मार्केट में उसी पल डूब गए। रोनाल्डो के आक्रोश का कारण बताते हैं कि वे केवल साफ पानी पीना चाहते थे। ऐसी तुनुक मिजाजी ? लेकिन आज सुबह राजधानी डोहा में रोनाल्डो की बेइज्जती तो गजब की हुई। कारण यही रहा कि अपनी ही टीम के प्लेइंग इलेवन में उन्हे शामिल नहीं किया गया। स्विट्जरलैंड के खिलाफ फीफा विश्व कप के 16वें राउंड के मैच में लाइनअप से उन्हे हटा दिया गया। उनकी जगह इलेवन में गोंसेलो रामोस ने लिया। रोनाल्डो 2008 में यूरोपीय चैंपियनशिप के बाद पहली बार किसी बड़े टूर्नामेंट में अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए शामिल नहीं किए गए। बावजूद इसके पुर्तगाली टीम ने स्विट्जरलैंड को 6-1 से हराया। गोंसेलो रामोस ने हैट्रिक लगाई, जबकि पेपे, रफील गेरुरो और रफील ल्यू ने एक-एक गोल दागे। इस मैच से पहले टीम के कोच फर्नांडो सांदोस और उनके बीच सब्सिट्यूट को लेकर विवाद हुआ था। रोनाल्डो को पिछले मुकाबले में आखिरी समय में साउथ कोरिया के खिलाफ सब्सिट्यूट किया गया था। इससे रोनाल्डो खुश नहीं थे। इसे लेकर उन्होंने नाराजगी भी जताई थी।

हालांकि, रोनाल्डो के पुर्तगाल टीम के फैंस को इस तरह से शर्मसार होना पसंद नहीं आया होगा। दूसरी ओर रामोस ने रोनाल्डो की गैरमौजूदगी का स्वयं पूरा फायदा उठाया और तीन गोल दागते हुए स्विट्जरलैंड के हौसले पस्त कर दिए। इसके साथ ही पुर्तगाल की टीम क्वॉर्टर फाइनल में पहुंच गई है। उसका मुकाबला शनिवार को अरब मोरक्को के साथ होगा। रोनाल्डो को टीम के बाहर करने के मामले पर कोच संतोस तनिक लुका छिपी खेलते रहे। जब पुर्तगाल के नागरिक आक्रोशित होने लगे तो कोच ने कहा : “हम पहले ही बता चुके हैं कि रोनाल्डो को बाहर बैठाने का फैसला एक गेम प्लान था। इसमें कुछ उलझने वाली बात नहीं है। हर प्लेयर का अलग रोल है और उसी रोल के हिसाब से चीजें तय की जाती हैं।” रोनाल्डो के बाहर होने पर इस तरह की अटकलें चलने लगी कि पुर्तगाल टीम में सब कुछ ठीक नहीं है। लेकिन कोच ने साफ इंकार किया। बताया कि यह चीजें गेम को लेकर होती रहती हैं। टीम के हित में किए गए फैसले से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। रोनाल्डो एक शानदार खिलाड़ी हैं और बेहतरीन कप्तान हैं”, कोच बोले।

भली बात यह हुई कि पुर्तगाल ने तीसरी बार विश्व कप के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई है। टीम इससे पहले 1966 और 2006 में भी अंतिम आठ में पहुंचने में सफल रही थी। शनिवार (10 दिसंबर) को क्वार्टर फाइनल में टीम की भिड़ंत मोरक्को से होगी जिसने प्रीक्वार्टर फाइनल में स्पेन को पेनल्टी शूट आउट में 3-0 से हराया। कोच फर्नांडो संतोस को अब फैसला करना है कि वह अगले मैच में रामोस को ही मौका देंगे या फिर रोनाल्डो की वापसी कराएंगे ? इधर देशप्रेम का मसला भी उठा। रोनाल्डो की आलोचना में बताया जा रहा है कि उन्होंने सऊदी अरब के अमीर तेलियों के लिए खेलना स्वीकारा है। अर्थात बजाए मातृभूमि पुर्तगाली यूरो के अरबी रियाल का लोभ संवरण नहीं कर पाए। अतः स्वदेश में नाराजगी पनपना स्वाभाविक है। राष्ट्रभक्ति की भावना से वैश्विक खेल प्रतिस्पर्धा अछूती नहीं रह सकती। अचरज यह है कि दुनिया के इस महानतम फुटबॉलर रोनाल्डो को अपनी प्रतिष्ठा, मर्यादा और देश से लगाव दिख नहीं रहा।

रोनाल्डो आम फुटबॉलर की भांति निहायत साधारण परिवार के हैं। उनके पिता एक रसोइया और मां म्युनिसिपालिटी के बगीचों में मालिन की नौकरी करती है। उनकी मां ने बताया था कि “परिवार गरीबी से जूझ रहा था। उनके पिता को शराब की लत थी। पहले से ही बहुत अधिक बच्चे होने के कारण रोनाल्डो का गर्भपात कराना चाहती थी, लेकिन उनके डॉक्टर ने इस प्रक्रिया को करने से इनकार कर दिया। वरना रोनाल्डो पैदा ही नही होते। वे एक गरीब कैथोलिक घर में पले-बढ़े हैं। अपने सभी भाई-बहनों के साथ एक ही कमरा साझा किया करते रहें।

इतने श्रेष्ठ खिलाड़ी होने के बावजूद रोनाल्डो मामूली अपराधिक वारदातों के भी दोषी रहे। उन पर 13 जुलाई 2009 में लास वेगास पर्यटन स्थल में बलात्कार का आरोप लगा था। अपने बचाव में रोनाल्डो ने कहा कि “यौनकार्य पारस्परिक सहमति से हुआ था।” फिर लेनदेन द्वारा तय हो गया। उनके 2010 में जन्मे एक अवैध पुत्र का भी किस्सा चला था। कर वंचना पर (सवा करोड़) पर 2011 और 2014 में उन्हें जेल की सजा दी गई पर स्पेन के कानून में दो वर्ष से कम की सजा में कारागार में नहीं रखते हैं। फिर 2005 में ब्रिटेन में यौन शोषण के जुर्म पकड़े गए पर स्कॉटलैंड यार्ड ने मामला दफा कर दिया।

क्रिकेट की तुलना में फुटबॉल अधिक साधारण जन का खेल माना जाता है। यही कारण है कि फुटबॉलर बहुधा नितांत निर्धन वर्ग से आते हैं, अवसरवादी होते। मगर अपने जीवन को संवार नहीं पाते। परिणाम रोनाल्डो हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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