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गुजरात की लड़ाई आसान नहीं, कांग्रेस ने बदली रणनीति, दे रही घर-घर दस्तक

अहमदाबाद : कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव (gujarat assembly election) के ऐलान का स्वागत करते हुए पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने की घोषणा की है। पर पार्टी के लिए यह लड़ाई इतनी आसान नहीं है। हालांकि, 27 वर्षों से सत्ता पर काबिज भाजपा (BJP in power for 27 years) को शिकस्त देने के लिए पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पर उसके सामने दोहरी चुनौती है।

कांग्रेस पार्टी को 2017 का अपना प्रदर्शन बरकरार रखते हुए उसमें और सुधार करने की चुनौती है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए पार्टी ने बड़ी रैली और जनसभाओं के बजाए लोगों तक पहुंचने की कोशिश की है। कार्यकर्ता घर-घर जाकर अपनी बात पहुंचा रहे हैं।

पार्टी ने गुजरात परिवर्तन संकल्प यात्रा के जरिए सभी विधानसभा क्षेत्रों से गुजरते हुए करीब पांच करोड़ लोगों से सीधा संपर्क साधने का लक्ष्य रखा है। प्रदेश को पांच हिस्सों में बांटकर पार्टी यात्रा के दौरान 145 जनसभाएं और 95 बड़ी रैलियां आयोजित करेगी। यात्रा का मकसद लोगों तक अपने संकल्प पहुंचाना है।

कांग्रेस को चुनाव के लिए तैयार अपने आठ संकल्पों पर भी पूरा भरोसा है। इन संकल्पों में सरकार के गठन के बाद किए जाने वाले काम और जनता की तरफ से दिए जाने वाले सहयोग का न सिर्फ जिक्र है, बल्कि इन संकल्पों को किस तरह जमीन पर उतारना है, इसका पूरा खाका है। ताकि,लोगों में भरोसा पैदा किया जा सके।

चुनाव प्रचार में कांग्रेस का पूरा फोकस ग्रामीण क्षेत्रों, आदिवासी, दलित और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों पर है। प्रदेश की 182 में से 55 सीट सिर्फ चार बड़े शहर अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और बडोदरा में है। जबकि करीब सौ सीट ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। पार्टी इन सीट पर ज्यादा फोकस कर रही है।

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रचार से पार्टी को दलित मतदाताओं में समर्थन बढ़ने का भरोसा है। प्रदेश में आठ फीसदी दलित हैं और 13 सीट आरक्षित हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में इनमें से सात सीट भाजपा और पांच सीट कांग्रेस को मिली थी। जबकि एक सीट पर पार्टी के समर्थन से जिग्नेश मेवाणी जीते थे।

आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार से कांग्रेस सतर्क है। पार्टी लोगों को यह यकीन दिलाने की कोशिश कर रही है कि ‘आप’ वोट काटने के लिए चुनाव लड़ रही है। प्रदेश में भाजपा को सिर्फ कांग्रेस हरा सकती है। पार्टी नेता मानते हैं कि ‘आप’ पार्टी शहरी इलाकों में ज्यादा सक्रिय है। फिर भी पार्टी पूरी एहतियात बरत रही है।

वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की अहम भूमिका थी। पर अब यह युवा तिगड़ी बिखर चुकी है। हार्दिक और अल्पेश कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। हालांकि, जिग्नेश मेवाणी पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर हैं।

गुजरात में अनुसूचित जनजाति के लिए 27 सीट आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में इनमें से 15 सीट कांग्रेस और दो सीट भारतीय ट्राइबल पार्टी ने जीती थी। आदिवासी मतदाताओं का भरोसा जीतने के लिए पार्टी बीटीपी से गठबंधन की तैयारी कर रही है। पार्टी के एक नेता के मुताबिक, बीटीपी से चर्चा अंतिम दौर में चल रही है।

मोरबी की घटना का भी चुनाव पर असर पड़ सकता है। कांग्रेस को भरोसा है कि 2017 की तरह वह एक बार फिर इस सीट को जीतने में सफल रहेगी। हालांकि, पार्टी विधायक बृजेश मेरजा कुछ महीने बाद ही भाजपा में शामिल हो गए थे। पर इस वक्त मेरजा की स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।

गुजरात में कांग्रेस ने एक बार फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर भरोसा जताया है। प्रभारी महासचिव के तौर पर गहलोत 2017 के चुनाव में पार्टी को 77 सीट दिलाने में सफल रहे थे। पार्टी ने इस बार उन्हें मुख्य पर्यवेक्षक नियुक्त करते हुए उनके भरोसेमंद रघु शर्मा को प्रभारी बनाया है। इसके साथ गुजरात सरकार के कई मंत्री और विधायक अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

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