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भुखमरी की कगार पर इस्लामिक मुल्क यमन के 80 लाख लोग, संयुक्त राष्ट्र ने भी खड़े किए हाथ

नई दिल्ली: यूनाइटेड स्टेट ने चेतावनी दी है कि इस्लामिक देश यमन के 80 लाख लोग भूखमरी के कगार पर पहुंच सकते हैं। यूएस का कहना है कि फंड की कमी की वजह से यह हालात बने हैं। बुधवार को यूएन फूड रिलीफ एजेंसी ने चेताते हुए कहा कि उसके पास फंड की काफी कमी है जिसकी वजह से वो यमन के करीब लाखों लोगों तक पहुंचा पाने में सक्षम नहीं है।

कम राशन में कैसे मिटेगी भूख?
जनवरी से, यमन की 80 लाख लोग जो भूखे हैं उन्होंने कम राशन मिलेगा। इसके अलावा 50 लाख वैसे लोग जो भूख से बिल्कुल ही अकाल के कगार पर खड़े हैं उन्हें पूरा राशन मिलेगा। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (मीडिल ईस्ट) की क्षेत्रीय निदेशक कोरिने फ्लेसिचर ने कहा, ‘मुश्किल घड़ी की मांग है कि मुश्किल कदम उठाए जाए। हमें अपने सीमित स्त्रोत को देखते हुए प्राथमिकताएं तय करनी होंगी। जो सबसे मुश्किल राज्यों में हैं हम उनपर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। यमन में वैसे परिवार जो खाने-पाने को लेकर इस प्रोग्राम पर आश्रित हैं उनके लिए राशन का कम हो जाना एक बेहद ही मुश्किल समय है। मुद्रा की क़ीमतों में गिरावट दर्ज की गई है और मुद्रास्फ़ीति के कारण यहां अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच गई है।’

पलायन के लिए मजबूर हैं लोग
पिछले तीन महीने से यहां कई परिवारों के लिए हालात बेहद कठिन हैं। साल की शुरुआत से ही यमन में खाने-पीने के सामान दोगुने महंगे हो चुके हैं। कई मोर्चों पर लड़ रहे यमन में रहने वाले कई परिवार पलायन के लिए भी मजबूर हो चुके हैं। यमन के लोग अभी जिस हालात का सामना कर रहे हैं वैसा पहले कभी नहीं हुआ। गिरती अर्थव्यवस्था की चपेट में आने की वजह से यहां लाखों लोग दरिद्रता में जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

मुश्किल में 23 लाख बच्चे
यमन में एक करोड़ 62 लाख लोग, यानी देश में आधी से अधिक आबादी, भरपेट भोजन ना मिल पाने से गम्भीर रूप से पीड़ित हैं। पांच वर्ष से कम उम्र के क़रीब 23 लाख बच्चों पर कुपोषण का जोखिम मंडरा रहा है। यूएन एजेंसी की वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यमन की जनता पहले से कहीं अधिक संवेदनशील परिस्थितियों का सामना कर रही है।

कहां से आएंगे पैसे?
यूएन एजेंसी के मुताबिक़, यमन में अगले वर्ष मई तक, सर्वाधिक निर्बलों तक सहायता पहुंचाना जारी रखने के लिये 81 करोड़ डॉलर से अधिक रक़म की आवश्यकता होगी। वर्ष 2022 में, विश्व खाद्य कार्यक्रम को अकाल के कगार पर पहुंच चुके परिवारों तक मदद सुनिश्चित करने के लिये, एक अरब 97 करोड़ डॉलर की ज़रूरत होगी।

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