उत्तराखंड

उत्तराखंड होगा भारत का पहला राज्य जो करेगा बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का सर्वेक्षण

देहरादून (विवेक ओझा): बच्चे किसी भी देश के कर्णधार माने जाते हैं। बच्चों के बेहतर शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य पर देश का भविष्य और ह्यूमन कैपिटल टिका हुआ है। इसलिए उत्तराखंड सरकार ने तय किया है कि वह देश का पहला बाल मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण ( kids Mental health survey ) कराएगी। उत्तराखंड सरकार और बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोलॉजिकल साइंसेज ( NIMHANS) के विशेषज्ञों की टीम द्वारा यह सर्वे कराया जायेगा।

उत्तराखंड सरकार के इस फैसले से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विजन का एक और प्रमाण सामने आया है। निमोनिया और इनफ्लुएंजा फैलने की संभावना हो , या फिर डेंगू से बच्चों को सुरक्षित करने की बात हो मुख्यमंत्री धामी लगातार स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार को जरूरी निर्देश देते रहे हैं। टीन एजर बच्चों में नशे की लत किसी भी तरीके से न लगे, इसके लिए भी धामी सरकार ने स्कूलों को सतर्क किया है।

अब इस मेंटल हेल्थ सर्वेक्षण से बच्चों और एडोलेसेंट दोनों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी जानकारियां हासिल की जा सकेगी जिससे अगर किसी मेडिकल इंटरवेंशन की जरूरत पड़े तो वो शुरुआत में ही हो सके और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का संरक्षण हो सके। इसके लिए निम्हांस की निदेशक प्रतिमा मूर्ति उत्तराखंड का भ्रमण करेंगी और दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आधिकारिक तौर पर इस कार्यक्रम को लॉन्च किया जाएगा।

इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड में 17 साल तक की उम्र के बच्चों में बौद्धिक कमजोरी, बौद्धिक बौद्धिक दिव्यांगता, मानसिक समस्याओ , और कॉमन मेंटल डिसऑर्डर का आंकलन करना है। उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने ये बातें स्पष्ट की हैं। उत्तराखंड स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के डिप्टी डायरेक्टर डॉ मयंक बडोला का कहना है कि इस तरीके के मेंटल हेल्थ सर्वे की बहुत अधिक आवश्यकता है क्योंकि अभी ऐसा निश्चित फ्रेमवर्क नहीं है जिसमें बच्चों और एडालसेंट के लिए मेंटल हेल्थ से जुड़ी चिताओं के आकलन की कोई गाइडलाइन जारी करने की बात हो । उत्तराखंड में इस तरीके का जो मेंटल हेल्थ प्रोटोकॉल बनेगा उसे निमहैंस ने बनाया है और उसी के द्वारा इस इंप्लीमेंट किया जाएगा । इस संस्था के द्वारा देश में ब्रेन माइंड और बिहेवियर स्टडीज में बेहतर कार्य किया जाता है। इस तरीके की कार्यवाही से एक कॉम्प्रिहेंसिव मेंटल हेल्थ प्लान बच्चों के लिए बन सकेगा और इस मामले में उत्तराखंड देश के अन्य राज्यों को प्रेरित कर सकेगा।

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