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मध्य प्रदेश में क्या कमी महसूस कर रही है BJP? इकाई की सूरत बदलने की तैयारी

भोपाल : मध्य प्रदेश में बेहतर चुनावी रणनीति के मद्देनजर भाजपा नेतृत्व राज्य में संगठनात्मक बदलाव कर सकता है। दरअसल, राज्य में विधानसभा चुनाव को लगभग छह माह का समय ही बचा है, लेकिन सरकार व संगठन के बीच बेहतर समन्वय की कमी महसूस की जा रही है। हाल में संसद सत्र के दौरान राज्य के भाजपा सांसदों ने भी इस सिलसिले में केंद्रीय नेतृत्व को अपना फीडबैक दिया है।

इस साल के आखिर में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव इसलिए भी काफी अहम हैं, क्योंकि यह लोकसभा चुनाव के ठीक पहले होंगे। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम शामिल हैं। मध्य प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है और उसका असर दो पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़ व राजस्थान पर भी पड़ता है। पिछली बार भाजपा को इन तीनों राज्यों में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, कांग्रेस में बगावत के बाद मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई थी।

भाजपा नेतृत्व ने बीते दिनों में राजस्थान में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की थी। इससे पहले छत्तीसगढ़ में संगठनात्मक बदलाव किया गया था। मध्य प्रदेश के मौजूदा पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल भी अब पूरा हो चुका है। ऐसे में वहां पर भी बदलाव की संभावना जताई जा रही है। संसद के बजट सत्र के दौरान मध्य प्रदेश से भाजपा के अधिकांश सांसदों ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार, इन सांसदों ने राज्य में संगठनात्मक बदलाव को लेकर भी अपनी राय रखी।

इससे पहले जेपी नड्डा ने मध्य प्रदेश के दौरे के दौरान प्रदेश संगठन को बेहतर समन्वय व प्रबंधन से चुनावी तैयारी करने को कहा था। सूत्रों के अनुसार, भाजपा में केंद्रीय स्तर पर भी यह महसूस किया जा रहा है कि राज्य में सरकार व संगठन के बीच बेहतर समन्वय नहीं है। सत्ता में होने की वजह से जनता के बीच सत्ता विरोधी माहौल की काट भी जरूरी है, जिसमें सरकार से ज्यादा अहम भूमिका संगठन की होती है। भाजपा के एक प्रमुख नेता ने कहा कि राज्य में रणनीति के मुताबिक काम किया जाएगा। जहां भी जरूरी होगा वहां बदलाव किया जाएगा।

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