लखनऊ

अनियमितताएं पाये जाने पर 2 अनुबन्ध पत्र निरस्त, जप्त की गयी जमा प्रतिभूति की धनराशि

लखनऊ : सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जनपद बिजनौर निवासी सौरभ कुमार ने 1.5.2017 को जिला पूर्ति अधिकारी, बिजनौर को आवेदन-पत्र देकर सूचनाएं चाही थी कि राहुल कुमार ने दिनांक 3.4.2017 को राजीव कुमार पुत्र सरदार सिंह ने ग्राम भरैरा तहसील व जिला बिजनौर में सस्ते गल्ले की दुकान आंवटित है, उस स्टाॅक की जांच की गयी है, जांच में क्या नियमानुसार राशन पाया, राशन किस स्थान में पाया गया, राशन कम पाया गया है, व अनियमिता पायी गयी है, तो उस स्तर पर अब तक क्या कार्यवाही की गयी है, आदि से सम्बन्धित बिन्दुओं की प्रमाणित छायाप्रतियों की जानकारी चाही थी, मगर विभाग द्वारा वादी को कोई जानकारी नहीं दी गयी, अधिनियम के तहत सूचनाएं प्राप्त न होने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर प्रकरण की जानकारी चाही है।
राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जिला पूर्ति अधिकारी, बिजनौर को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया कि वादी के प्रार्थना-पत्र में उठाये गये बिन्दुओं की सूचना 30 दिन के अन्दर आयोग के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करें, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वादी को क्यों सूचना नहीं दी गयी है, क्यों न उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाये। जिला पूर्ति अधिकारी, बिजनौर से मनीष कुमार सिंह उपस्थित हुए, उनके द्वारा प्रस्तुत की गयी आख्या से स्पष्ट हुआ कि जारी विक्रेता को अरोप-पत्र एवं श्री राजीव कुमार, उचित दर विक्रेता, ग्राम भरैरा, ब्लाॅक हल्दौर तहसील बिजनौर के द्वारा दिये गये स्पष्टीकरण का परिसीलन करने पर समीक्षोपरांत पाया गया कि विक्रेता द्वारा निर्धारित तिथियों से पूर्व दोनों ग्राम सभाओं को आवश्यक वस्तुओं का वितरण करना, दुकान की स्वीकृत चैहदी से अन्यत्र स्थान पर आवश्यक वस्तुओं का संग्रहण/वितरण करना, आवश्यक सूचनाओं का सूचना पटल पर सूचनाओं को प्रदर्शित न करना, जन सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सूचना उपलब्ध न कराया जाना, वितरण रजिस्टर निरीक्षण के समय प्रस्तुत न करके लगभग 8 माह बाद स्पष्टीकरण के साथ प्रस्तुत किया है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि विक्रेता द्वारा वितरण रजिस्टर भ्रमित करने के उद्देश्य से जांच के काफी समय उपरांत बनाकर कार्यालय में प्रस्तुत किया गया है, जो संदेहास्पद है, आदि अनियमितताएं बरते जाने के कारण विक्रेता का उपरोक्त कृत्य अत्यंत गंभीर श्रेणी का है, जो कि उ0प्र0 आवश्यक वस्तु (विक्रय एवं वितरण नियंत्रण के विनियमन) आदेश 2016 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है। उपरोक्त के परिप्रेक्ष्य में विक्रेता का अपने दर पर बने रहना उचित नहीं है। अतः राजीव कुमार उचित दर विक्रेता का अनुबंध-पत्र उसकी जमा समस्त प्रतिभूति एवं रू. 25 हजार अर्थदण्ड स्वरूप शासन के पक्ष में जब्त करते हुए, उसकी उचित दर दुकान का अनुबन्ध-पत्र निरस्त किया जाता है।
वहीँ एक अन्य वाद में सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत जनपद बिजनौर निवासी श्री वीरेन्द्र कुमार देवरा ने जिला पूर्ति अधिकारी, बिजनौर को आवेदन-पत्र देकर सूचनाएं चाही थी कि 2017 में राशन विक्रेता शिशुपाल सिंह ने किन-किन तारिखों में राशनादि वितरण किया गया, राशन विक्रेता द्वारा की गयी अनियमितताओं की अधिकारी द्वारा जांच में दोषी पाये जाने के बाद भी किस नियम के तहत विक्रेता द्वारा राशन वितरण किया जा रहा है, आदि से सम्बन्धित बिन्दुओं की प्रमाणित छायाप्रतियाॅ मांगी थी, मगर विभाग द्वारा नहीं दी गयी, अधिनियम के तहत सूचनाएं प्राप्त न होने पर वादी ने राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर प्रकरण की जानकारी चाही है। राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जिला पूर्ति अधिकारी, बिजनौर को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर आदेशित किया। महेश चन्द्र गौतम उपस्थित हुए, उनके द्वारा बताया गया है कि उक्त विक्रेता द्वारा एनएफएसए के उपरोक्त कार्डों पर खाद्यान का वितरण एक वर्ष तक नहीं किया गया, पात्र गृहस्थी के कार्डाे की सूची दुकान पर प्रदर्शित न किया जाना, स्टाक बोर्ड अध्यावधिक न पाया जाना कार्ड धारकों के राशन कार्ड अवैध रूप से कब्जे में रखना घोर अनियमिताएं है, विक्रेता का उपरोक्त कृत्य उप्र अनुसूचित वस्तु वितरण आदेश, 2004 के प्रावधानों, शासनादेश एवं अनुबन्ध-पत्र की विभिन्न शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है। राशन विक्रेता शिशुपाल को नैसृगिक न्याय को दृष्टिगत रखते हुए, उसका पक्ष सुनने के लिए ही उसको कारण बताओं नोटिस जारी किया था। विक्रेता का जवाब परीक्षणोपरांत संतोषजनक नहीं पाया गया, विक्रेता ने अवैध लाभ कमाने हेतु आवश्यक वस्तुत का वितरण नियमानुसार नहीं किया और शासनादेशों का उल्लंघन किया है। अतः राशन विक्रेता शिशुपाल उपरोक्त बरती गयी अनियमितताओं के लिए उक्त विक्रेता की दुकान का अनुबन्ध पत्र उसके द्वारा जमा समस्त प्रतिभूति 31,254 रुपये (रू. इक्तीस हजार, दौ सौ चैव्वन) शासन के पक्ष में जप्त करते हुए, तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है।

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