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अब कौन करेगा हिन्द महासागर पर राज, भारत या चीन ?

मालदीव में छा रहे राजनितिक संकट ने भारत और चीन को भी आमने-सामने खड़ा कर दिया है. मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मो. नशीद  जहां भारत को मुक्तिदाता बताते हुए भारत से सैन्य हस्तक्षेप कर मालदीव की स्तिथि सुधरने के लिए गुहार लगा रहें है, वहीं दूसरी ओर चीन ने भारत को सैन्य हस्तक्षेप न करने की समझाइश देते हुए कहा है कि यह मालदीव का आंतरिक मसला है, उन्हें बातचीत से सुलझाना चाहिए. अब कौन करेगा हिन्द महासागर पर राज, भारत या चीन ?

मालदीव की विपक्ष सरकार का कहना है कि, मौजूदा राष्ट्रपति पूरी तरह से चीन के प्रभाव में हैं, और हाल ही में मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब को ‘मित्र राष्ट्र’ बताया है. इन मित्र राष्ट्रों में भारत का नाम कहीं नहीं है. गौरतलब है कि, मालदीव, हिन्द महासागर में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है, जहां से भारत, जापान , चीन जैसे देशों के लिए जहाज मार्ग से ऊर्जा की आपूर्ति होती है.

चीन ने श्रीलंका, पाकिस्तान और अफ्रीकी देश दिजिबूती में बंदरगाह बनाकर हिंद महासागर में अपना पलड़ा मजबूत कर लिया है, अगर भारत को महासागर पर राज करना है तो इसके लिए मालदीव काफी अहम् साबित हो सकता है. लेकिन मालदीव की मौजूदा सरकार ने भारत से दूरियां बनाते हुए चीन और पाकिस्तान के साथ अपने सम्बन्ध प्रबल कर लिए हैं. ऐसे में भारत के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि पाकिस्तान और चीन दोनों से ही भारत का सीमा विवाद चलता रहता है.

अब देखना यह है कि भारत हिन्द महासागर पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाता है, क्या वह मालदीव में तख्तापलट करने में विपक्ष की  मदद करेगा, या फिर चीन अपना दबदबा बनाने में कामयाब हो जायेगा.   

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