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अभी-अभी देहरादून के चर्चित रणवीर एनकाउंटर में आया दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला

देहरादून के चर्चित रणवीर एनकाउंटर में दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 पुलिकर्मियों को बरी कर दिया है। अन्य सात पुलिस कर्मियों की सजा बरकरार रहेगी।अभी-अभी देहरादून के चर्चित रणवीर एनकाउंटर में आया दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला
11 पुलिस कर्मियों की रिहाई की खबर से पुलिस महकमे में राहत है। बता दें कि निचली अदालत ने 18 पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई थी। छह जून 2014 को 18 पुलिस कर्मियों को दोषी करार देते हुए 9 जून को उम्र कैद सजा सुनाई थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सौरभ नौटियाल, विकास बलूनी, सतबीर सिंह, चंद्रपाल, सुनील सैनी, नागेन्द्र राठी, संजय रावत, दारोगा इंद्रभान सिंह, मोहन सिंह राणा, जसपाल गुंसाई और मनोज कुमार को बरी कर दिया है। 

वहीं डालनवाला कोतवाली के तत्कालीन इंसपेक्टर डालनवाला एस के जायसवाल, आरा चौकी इंचार्ज जीडी भट्ट, कांस्टेबिल अजित सिंह, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, एसओ राजेश विष्ट, उप निरीक्षक नीरज यादव और चंद्रमोहन की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है।

यह थी पुलिस की मुठभेड कहानी

3 जुलाई 2009 का दिन था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का मसूरी में दौरा होने के कारण पुलिस काफी सतर्क थी। सरकुलर रोड पर आराघर चौकी प्रभारी जीडी भट्ट दोपहर के समय वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इसी बीच मोटर साइकिल पर आए तीन युवकों को रोका गया तो उन्होंने भट्ट पर हमला कर उनकी सर्विस रिवाल्वर लूट ली। लूटपाट के बाद तीनों बदमाश फरार हो गए।

कंट्रोल रुम में सूचना प्रसारित होने के बाद सक्रिय हुई पुलिस ने बदमाशों की तलाश शुरू की गई। करीब दो घंटे बाद लाडपुर के जंगल में बदमाशों से मुकाबले का दावा किया गया। आमने-सामने की फायरिंग में पुलिस ने रणबीर पुत्र रविन्द्र निवासी खेकड़ा बागपत को मार गिराने का दावा किया था, जबकि उसके दो साथी फरार दर्शाए थे। मौके पर ही लाइसेंस के आधार पर उसकी पहचान कर दी गई थी। उस समय अफसरों ने भी मौके पर पहुंचकर पुलिस की पीठ थपथपाई थी।

कत्ल और इंसाफ का एक ही दिन
संयोग कहे या फिर कुदरत का इंसाफ। कत्ल और इंसाफ का दिवस एक ही रहा। जिस दिन रणवीर को कथित मुठभेड़ में मारा गया था, उस दिन शुक्रवार था। सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला भी शुक्रवार को आया है।

रणवीर को 29 में से लगी थी 22 गोलियां
कथित मुठभेड में पुलिस ने रणवीर पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी। उस समय पुलिस ने मुठभेड़ में 29 राउंड फायरिंग किए जाने का दावा किया था। पांच जुलाई 2009 को आई पोस्टमार्टम ने पुलिस द्वारा दिखाई गई बहादुरी की पोल पट्टी खोल दी थी। मृतक के शरीर में 22 गोलियों के निशान पाए गए थे। उससे भी चौकाने वाली बात यह थी कि मात्र तीन फुट की दूरी से गोलियां चलाई गई थी।

शरीर पर आई ब्लेकनिंग से इसका खुलासा हुआ था। यह नहीं है कि रणवीर के शरीर पर 28 चोटे चिहिंत की गई थी। जाहिर है कि यह चोटे मुठभेड में तो नहीं लगी होगी। पीएम रिपोर्ट से परिजनों द्वारा यातनाएं देकर फर्जी मुठभेड में मार गिराने के आरोपों को बल मिला है।

बुरी तरह पिटाई करने के बाद रणवीर को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया गया था। इसके बाद ही छह जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ पिता रविन्द्र सिंह की तरफ से पुलिस के खिलाफ रणवीर की हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। हालांकि यह साफ नहीं है कि अभियोजन की कहानी में कोर्ट में क्या तर्क दिए गए हैं।

यह रहा मुठभेड का घटनाक्रम

3 जुलाई 2009 को एनकाउंटर में रणवीर की हत्या
4 जुलाई को हत्या का आरोप, हंगामा, लाठीचार्ज किया
5 जुलाई को पीएम रिपोर्ट आई, 25 चोटे, 22 गोली घंसी
5 जुलाई को सीबीसीआईडी से जांच कराने के आदेश
6 जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा
7 जुलाई को सीबीसीआईडी की टीम ने शुरू की जांच
8 जुलाई को नेहरु कॉलोनी थाने से रिकार्ड जब्त किया
8 जुलाई को सरकार की सीबीआई जांच की सिफारिश
31 जुलाई को सीबीआई ने दून आकर शुरू की जांच
4 जून को दिल्ली की विशेष अदालत का फैसला सुरक्षित
6 जून को 18 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया

 

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