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अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी ट्रेड वार में चीन को मिला 90 दिन का समय

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच अर्जेंटीना में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान अलग से हुई लंबी चर्चा के बाद परस्पर व्यापार में अमेरिका की ओर से 90 दिन के लिए किसी भी तरह का नया शुल्क नहीं लगाने पर सहमति बनी है। दोनों पक्षों ने इस बैठक को सफल बताया है और वे इस अवधि में आपस में व्यापार से जुड़े मुद्दों को हल कर कोई नया समझौता करने का प्रयास करेंगे।

ब्यूनस आयर्स: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के उनके समकक्ष शी जिनपिंग के बीच ब्यूनर्स आयर्स में बैठक सफल रही। इस बैठक के बाद दोनों नेताओं के बीच एक जनवरी 2019 से एक-दूसरे पर नए आयात शुल्क नहीं लगाने पर सहमति बनी। दोनों नेताओं ने मौजूदा व्यापार युद्ध को खत्म करने के लिए लगातार संवाद करने की भी प्रतिबद्धता जताई। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, जी20 सम्मेलन से इतर शनिवार को ट्रंप और शी के बीच रात्रिभोज बैठक लगभग ढाई घंटे तक चली। चीन ने रविवार को कहा है कि दोनों नेताओं के निर्णय से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार मोर्चे पर जारी विवाद थम गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति भवन (व्हाइट हाउस) के आर्थिक मामलों के शीर्ष सलाहकार लैरी कुडलो का कहना है कि ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति के बीच शनिवार को डिनर के समय व्यापार युद्ध को खत्म करने को लेकर हुई चर्चा अच्छी रही। ट्रंप ने चीन पर 90 दिनों के लिए 200 अरब डॉलर के सामान पर शुल्क लगाने की योजना को रोक दिया। अमेरिका एक जनवरी 2019 से चीन के 200 अरब डॉलर मूल्य के सामान पर 10 से 25 फीसदी तक आयात शुल्क लगाने जा रहा था। ट्रंप ने कहा कि दोनों नेता और उनके सलाहकार कई विषयों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा, ‘हम व्यापार पर चर्चा करेंगे और मुझे लगता है कि हम ऐसा समाधान निकालेंगे जो चीन और अमेरिका दोनों के लिए सही होगा।’ ट्रंप और उनके शिष्टमंडल के ब्यूनस आयर्स से रवाना होने से पहले कुडलो ने पत्रकारों से कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप चीन से आयातित 200 अरब डॉलर के उत्पादों पर शुल्क लगाने के अपने फैसले को 90 दिनों के लिए स्थगित करने को राजी हो गए हैं। शी जिनपिंग ने वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए नेताओं के साथ निजी दोस्ती का उल्लेख किया। गौरतलब है कि इस साल के मध्य में अमेरिका ने चीन के 250 अरब डॉलर के सामान पर आयात शुल्क लगा दिया था, जिस पर प्रतिक्रियास्वरूप चीन ने अमेरिका के 60 अरब डॉलर के सामना पर शुल्क लगाया था। यह बैठक ब्यूनस आयर्स के होटल दुहाउ पैलेस-पार्क हयात में हुई। इसी होटल में ट्रंप ठहरे हुए थे। इस दौरान ट्रंप के साथ विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, वित्त मंत्री स्टीवन नुचिन, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटाइजर, उनके दामाद जेयर्ड कुश्नर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन आदि थे। चीन के प्रतिनिधिमंडल में शी की कैबिनेट के प्रमुख डिंग शुशियांग, उप वित्त मंत्री लिउ हे, कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश मामलों के निदेशक यांग जिएची, स्टेट काउंसिलर वांग यी, वाणिज्य मंत्री झोंग शान और राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग के अध्यक्ष हे लिफेंग थे। इस डिनर के बाद ट्रंप वाशिंगटन जाने के लिए ब्यूनस आयर्स हवाईअड्डे के लिए रवाना हो गए। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स ने कहा कि इस संबंध में वह जल्दी ही बयान जारी करेंगी। जी20 शिखर सम्मेलन के लिए पिछले दो दिन से अर्जेंटीना की राजधानी में मौजूद ट्रंप और शी ने दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं को पूर्ण व्यापार युद्ध में फंसने से बचाने के लिए यह बैठक की। शिष्टमंडल के सदस्यों की उपस्थिति में हुई इस बैठक में दोनों नेताओं ने स्थिति सुधरने की आशा जताई। ट्रंप ने कहा, ‘उम्मीद है कि अंत में हमें ऐसा कुछ मिलेगा जो चीन और अमेरिका दोनों के लिए अच्छा होगा।’ वहीं, शी और ट्रंप के बीच ब्यूनस आयर्स में हुई बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने स्वीकार किया चीन अमेरिका से आयात को और बढ़ाएगा और 90 दिनों की अवधि के भीतर अमेरिका की चिंताओं को दूर करेगा। चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने वांग के हवाले से कहा, ‘दोनों राष्ट्रपतियों के बीच दोस्तीपूर्ण माहौल में गंभीर चर्चा हूई। यह चर्चा ढाई घंटे तक चली, जो कि निर्धारित समय से काफी लंबी रही।’ पिछले साल नवंबर में ट्रंप की चीन यात्रा के बाद यह दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने मुलाकात थी। वांग ने कहा कि दोनों देश के शीर्ष नेताओं के बीच व्यापार और आर्थिक मुद्दों पर विचार-विमर्श काफी ‘सकारात्मक’ रहा और अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाने पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय कारोबार में असंतुलन को धीरे-धीरे कम करने के लिये चीन अमेरिका से बाजार आधारित उत्पादों का आयात बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के लिये बाजारों को खुलने पर राजी हुए हैं और चीन इसे आगे बढ़ाने के लिये अमेरिका की चिंताओं को धीरे-धीरे हल करेगा।

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