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इस साल दुनिया में होंगे ये बड़े बदलाव, भारत पर भी पड़ेगा प्रभाव

दुनिया में इस साल कई बड़े बदलाव होने वाले हैं। इनमें सबसे बड़ा बदलाव है ब्रिटेन को लेकर। ब्रिटेन यूरोपियन संघ से बाहर होने जा रहा है। एक अन्य बदलाव कतर को लेकर है, जो 57 साल बाद ओपेक से अलग होने जा रहा है। चलिए आपको विस्तार से बताते हैं इन बदलावों और इनसे भारत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में।

इस साल दुनिया में होंगे ये बड़े बदलाव, भारत पर भी पड़ेगा प्रभाव

यूरोपियन संघ से अलग होगा ब्रिटेन
सबसे बड़ा बदलाव है ब्रिटेन का यूरोपियन संघ से अलग होना। मार्च में ब्रिटेन इस संघ से अलग हो जाएगा। लेकिन अगर सदस्य चाहेंगे तो ये टल भी सकता है। इसे दुनिया में ब्रेक्जिट का नाम दिया गया है। जो ब्रिटेन और एक्जिट दो शब्दों से मिलकर बना है। इस मुद्दे पर ब्रिटेन में पहला जनमत संग्रह 23 जून, 2016 को हुआ था। इसमें अधिकतर लोगों ने संघ से अलग होने के पक्ष में मतदान किया था। इसके बाद थेरेसा मे प्रधानमंत्री बनीं। अब ब्रिटेन 29 मार्च 2019 को यूरोपियन संघ से अलग होगा, लेकिन अगर संघ के सभी 28 सदस्य इससे सहमत नहीं होते तो ये टल भी सकता है।

ये होगा असर
ब्रिटेन के इस फैसले का असर न केवल ब्रिटेन पर बल्कि भारत सहित दुनिया के बाकी देशों पर भी पड़ेगा। ब्रिटेन के यूरोपियन संघ से अलग होने के बाद पौंड गिर जाएगा जिससे डॉलर की मांग बढ़ेगी। इससे पेट्रोल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमात बढ़ जाएगी। वहीं भारत सबसे अधिक इसलिए प्रभावित होगा क्योंकि यूरोपियन संघ भारत के लिए सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है। वहीं भारत के आईटी सेक्टर की 16-18 फीसदी कमाई ब्रिटेन से ही होती है।

समय में होगा बदलाव

नए साल में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा परिवर्तन है समय को लेकर। अब यूरोपियन संघ साल में केवल एक बार ही घड़ी का समय बदलेगा। इससे पहले दिन की रोशनी के इस्तेमाल के लिए साल में दो बार घड़ी का समय बदला जाता था। इस साल इस व्यवस्था में बदलाव होने जा रहा है। इससे पूरे महाद्वीप में एक समय निर्धारित होगा।

इसलिए हो रहा है बदलाव
घड़ी का समय इसलिए बदला जा रहा है क्योंकि कई सदस्य देशों में इसे लेकर मतभेद हैं। इस मुद्दे पर एक ऑनलाइन सर्वे भी कराया गया, जिसमें करीब 46 लाख लोग शामिल हुए थे। बता दें दिन की रोशनी को बचाने का सुझाव ब्रिटिश खगोलशास्त्री जॉर्ज हडसन ने साल 1885 में दिया था। तब से घड़ी की सुइयां बसंत में एक घंटे आगे की जाती हैं। इसके पीछे की वजह है शाम को सूरज का अधिक देर तक चमकना। इसके बाद शरद में सुइयां फिर से एक घंटे पीछे कर दी जाती हैं।

कतर का 57 साल बाद ओपेक से अलग होना

कतर ने गैस उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करने के लिये प्रमुख कच्चा तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। कतर के ऊर्जा मंत्री साद अल-काबी ने इसकी घोषणा की थी। काबी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, “कतर ने ओपेक की सदस्यता छोड़ने का निर्णय लिया है जो जनवरी 2019 से प्रभावी होगा।”

कतर का उद्देश्य गैस उत्पादन सालाना 7.7 करेड़ टन से बढ़ाकर 11 करोड़ टन करना है। कतर की दुनिया के नेचुरल गैस उत्पादन में 30 फीसदी हिस्सेदारी है। इसे अब वह और बढ़ाना चाहता है। इसका सीधा असर यूरोप पर पड़ेगा क्योंकि यूरोपीय देशों ने ही कतर में सबसे अधिक निवेश किया है। वह कतर के बहाने से ओपेक में दखल चाहते हैं। कतर साल 1961 से ओपेक का सदस्य है। वह तेल उत्पादन मामले में ओपेक का 11वां सबसे बड़ा देश है। भारत कतर से आगे चलकर तेल खरीद सकता है।

काबी ने कहा था कि ओपेक की घोषणा से पहले ही इस निर्णय के बारे में सूचित कर दिया गया है। ओपेक पर सऊदी अरब का दबदबा चलता है। दोनों देशों के बीच जून 2017 से संबंध खराब चल रहे हैं। बता दें ओपेक पेट्रोलियम उत्पादक वाले 14 देशों का संगठन है।

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