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कोरोना के खिलाफ जंग के लिए लैंसेट ने भारत को दिए 8 सुझाव, जान लें आप भी

‘लैंसेट’ के विशेषज्ञों के एक समूह ने भारत के लिए महामारी से प्रभावी तरीके से निपटने के संबंध में 8 सुझाव दिए हैं. सुझावों को ध्यान में रखते हुए तत्काल कदम उठाए जाने की अपील की गई है. लैंसेट मेडिकल जर्नल ने अपने 12 जून के अंक में इन उपायों का जिक्र किया है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में एक नए सिरे से कोविड लहर ग्रामीण आबादी की तरफ जा रही है, ऐसे में देश स्वास्थ्य आपातकाल की तरफ बढ़ रहा है.

लैंसेट ने केंद्र और राज्य सरकारों से इन सिफारिशों को तत्काल लागू करने के लिए कहा है. इसके साथ ही जिला स्तर पर स्वतंत्रता देने और कोविड मैनेजमेंट की सटीक जानकारी को प्रसारित करने की अपील भी की गई है. लैंसेट जर्नल की इस रिपोर्ट में 21 लेखक शामिल हैं, जिसमें बायोकॉन की प्रमुख किरण मजूमदार-शॉ भी हैं.

1. स्वास्थ्य सेवाओं के संगठनों के विकेंद्रीकरण का सुझाव भी दिया गया है. कहा गया है कि एक ही आकार सभी जगह फिट नहीं हो सकता. स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति एक जिले से दूसरे जिले में अलग-अलग हैं. ऐसे में जिला स्तर पर वर्किंग ग्रुप के पास परिस्थितियों के मुताबिक काम करने की छूट होनी चाहिए. जिसमें फंड से लेकर, हेल्थ सिस्टम और फ्रंटलाइन वर्कर्स तक आसान पहुंच हो.

2. एक राष्ट्रीय मूल्य नीति की सिफारिश भी रिपोर्ट में की गई है. कहा गया है कि एंबुलेंस, ऑक्सीजन, जरूरी दवाओं जैसी चीजों की कीमतों की एक लिमिट तय की जानी चाहिए. हॉस्पीटल केयर के लिए किसी भी तरह की अलग से कीमत नहीं होनी चाहिए. इसे स्वास्थ्य बीमा योजना के जरिए कवर किया जाना चाहिए, जैसा कुछ राज्यों में किया गया है.

3. कोविड के मैनेजमेंट को लेकर साफ, सबूतों पर आधारित स्पष्ट जानकारी को व्यापक रूप से प्रसारित किया जाना चाहिए. इसमें सभी स्थानीय भाषाओं में घरेलू देखभाल, इलाज, प्राथमिक देखभाल, जिला अस्पताल की देखभाल के लिए दिशा-निर्देश शामिल हों. ब्लैक फंगस जैसे अन्य प्रभावों के संबंध में जानकारी भी इसमें शामिल हो.

4. प्राइवेट सेक्टर समेत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के सभी संसाधनों का इस्तेमाल कोविड-19 की जंग के खिलाफ करना चाहिए. निजी सुरक्षा उपकरण, इंश्योरेंस, मेंटल हेल्थ सपोर्ट, मेडिकल सपोर्ट के लिए सलाह दी जानी चाहिए.

5. वैक्सीन की आपूर्ति में सुधार के बाद राज्य सरकार फैसला करे कि पहले किसे वैक्सीन लगाई जाए. वैक्सीनेशन प्राइवेट सेक्टर के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए और इसकी कीमत बाजार में तय नहीं हों.

6.सामुदायिक जुड़ाव और जनभागीदारी भारत की कोविड-19 प्रतिक्रिया के केंद्र में होनी चाहिए. सरकार और नागरिक समाज संगठनों के बीच सक्रिय सहयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि सटीक जानकारी तैयार करके प्रसारित की जा सके.

7. आने वाले हफ्तों में संभावित केसलोड के लिए जिलों को एक्टिव रूप से तैयार करने के लिए सरकारी डेटा और मॉडलिंग में पारदर्शिता होनी चाहिए. स्वास्थ्यकर्मियों को उम्र और लिंग पर अलग-अलग कोविड -19 मामलों, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु दर पर डेटा की जरूरत होती है.

8. भारत की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कामगारों की भूमिका है, जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी है. ऐसे लोगों को राज्य नकद मदद मुहैया कराएं, जिसके चलते उनके स्वास्थ्य जोखिम को भी कम किया जा सके. सभी श्रमिकों को बनाए रखने की आवश्यकता है इसके लिए कंपनियों को अर्थव्यस्था ठीक होने पर मुआवजा देने की पेशकश की जा सकती है.

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