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गर्मी बढ़ने से महासागर हो रहे जहरीले, कम हो रहे पक्षी

सर्वे : एक रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई कि ग्लोबल वाॅर्मिंग का असर तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी अंटार्कटिका में ग्लेशियर पिछल रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसा सर्दी के दिनों में हो रहा है, इससे वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हैं। अमेरिकी वैज्ञानिकों के मुताबिक आर्कटिक और अंटार्कटिक दोनों ध्रुवों का तापमान बढ़ रहा है। राष्ट्रीय समुद्री वातावरण प्रशासन के मुताबिक बर्फ के पिघलने से तापमान बढ़ रहा है जिससे पानी में जहरीले शैवालों की संख्या बढ़ रही है। ग्लोबल वाॅर्मिंग और जलवायु परिवर्तन का असर पक्षियों और समुद्री जीवों पर भी हो रहा है। ब्लैक गिलिमॉट चिड़िया पर रिसर्च कर रहे पक्षीविज्ञानी जॉर्ज डिवोकी कहते हैं इस साल कई बदलाव देखने को मिले हैं। ब्लैक गिलिमॉट के जोड़ों ने पिछले साल 225 घोसले बनाए थे, लेकिन इस साल मात्र 85 पक्षी ही आइलैंड पहुंचे, 50 मादा ने अंडे दिए। इनसे जन्मे 25 बच्चे ही जिंदा रहे। इसका कारण यहां की बर्फ का घट जाना है। राष्ट्रीय समुद्री वातावरण प्रशासन के हेड एमिली के अनुसार, आर्कटिक ध्रुव पर 30 साल में बर्फ की मोटाई प्रतिशत कम हो गई। 1985 में आर्कटिक का छठा हिस्सा सिर्फ बर्फ था जो अब 100वां हिस्सा बन गया है। नासा के पूर्व वैज्ञानिक कहते हैं कि आर्कटिक का रंग सफेद से नीला हो गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, तापमान बढ़ने से जहरीले शैवाल बढ़ रहे हैं। यह बदलाव उत्तरी हिस्से में ज्यादा है। पक्षी, स्तनधारी और मछलियाें पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। हाल ही में जर्नल सिमेट्री में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार जलवायु परिवर्तन का असर शार्क मछलियों पर भी पड़ रहा है। ऑस्टेलियाई वैज्ञानिकों का दावा है कि समुद्र का तापमान बढ़ने से शार्क के तैरने की दिशा पर फर्क पड़ रहा है। नतीजतन वे सिर्फ दाईं ओर ही तैर रही हैं। यह अध्ययन शार्क की पोर्ट जैक्सन प्रजाति पर किया गया। शार्क के व्यवहार में भी बदलाव दिख रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान बढ़ने से शार्क के मस्तिष्क के विकास और इसकी कार्यक्षमता पर भी असर पड़ सकता है।

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