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गुजरात के इन गांवों में है शराब वाले गानों की खूब मांग

download (81)एजेंसी/ अहमदाबाद। शराबबंदी वाले राज्य गुजरात में, विशेषकर राज्य के गांवों में किसी भी समारोह में बजने वाले गाने अधिकतर शराब पर आधारित होते हैं। ‘मैं तो लाल क्वार्टर पीदो गाम मा (मैं गांव में लाल पव्वा पीता हूं)’ ,’दारू पीदो मा ई दारू पीदो’ (देवता दारु पीते है)’, ‘मैं दाह नो दारू पीदहो’ (मैं दस रुपये के लिए दारू पीता हूं).. ये कुछ ऐसे सुपरहिट गुजराती गाने हैं जो गांवों और शहरी क्षेत्रों में होनी वाली शादियों और अन्य सामाजिक आयोजनों में सर्वाधिक बजते हैं।

27 वर्षीय गमन राबरी, जिन्हें इस तरह के गानों के लिए प्रसिद्धि मिली हुई है वो किसी भी शो को ‘दारू पीदो मा ए दारू पीदो’ के बिना समाप्त नहीं करते। गमन बताते हैं, “लोग इस तरह के गानों को पंसद करते हैं जो लोकगानों पर आधारित हों। मेरा ईरादा शराब को बढ़ावा देना नहीं है।” 1993 में गुजराती फिल्म ‘मानवी नी भावी’ का शराब पर आधारित गाना ‘मेरे नोहोतो पीवो ने माने पायो रे, मदहुरो दारुदो माहेके रे…’ आज भी उन टॉप गानों में आता है जिसकी मांग सबसे ज्यादा रहती है।

2007 में संगीत निर्देशक शैलेष-उत्पल ने शकीरा के गाने की नकल करते हुए ‘खम्भो’-एक शराब की बोतल तैयार किया। जो काफी हिट रहा। संगीत जगत के विशेषज्ञ कहते हैं कि शराब पर आधारित गाने एल्बम निर्माताओं की पंसद होते हैं, जिन पर सेंसर बोर्ड का नियंत्रण नहीं होता।

 
 

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