BREAKING NEWSState News- राज्य

चंबल में घट गए घड़ियाल और डॉल्फिन, पर बढ़ गए मगरमच्छ

भोपाल : घड़ियालों के सबसे बड़े पर्यावास में हुई जलीय जीव गणना के आंकड़े आ गए हैं। यह आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। इस बार हुए सर्वे स्वच्छ जलीय जीव घड़ियाल ‘गवियालिस गेंगेटिकस’ और राष्ट्रीय जलीय जीव गेंगेटिक डॉल्फिन ‘प्लेटिनेस्टा गेंगेटिका’ की संख्या में कमी आई है। इसके विपरीत घड़ियालों के लिए संकट माने जाने वाले मगरमच्छ की संख्या बढ़ गई है। गणना के ताजे आंकड़ों से साफ हो गया है कि नदी में हो रहे अवैध खनन से घड़ियालों को सीधा नुकसान हुआ है। इसके अलावा चंबल में शिकार भी लगातार हो रहा है। इसके प्रमाण तब मिले थे, जब कुछ घड़ियालों को जाल में फंसा पाया गया था। चंबल नदी के हालात मानवीय गतिविधियों से दूर रहने वाले साफ पानी के जलीय जीवों के लिए अब मुफीद नहीं रह गए हैं। 7 फरवरी से 19 फरवरी तक चले वन विभाग के सर्वे के आंकड़े वन संरक्षक मुरैना की टेबल तक आ गए हैं। समीक्षा और वर्गीकरण के बाद इन आंकड़ों को वन संरक्षक मुरैना के ऑफिस में फाइल किया गया है। 10 मार्च को यह आंकड़े मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान वन विभाग के लिए जारी कर दिया जाएगा। फिलहाल जो आंकड़े आए हैं, उनके मुताबिक चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या 2019 की तुलना में 1876 से घटकर 1859 रह गए हैं। जबकि साल 2018 की तुलना में डॉल्फिन की संख्या 74 की तुलना में घटकर 68 रह गई है। डॉल्फिन के मामले में ये गिरावट काफी अधिक और चिंताजनक है। नदी में डॉल्फिन घटने का अंदेशा वन विभाग को साल 2019 में ही लग गया था। यही वजह है कि जब सर्वे में डॉल्फिन नहीं दिखीं तो विभाग ने डॉल्फिन को सर्वे से बाहर कर दिया। इसके बाद अलग से सर्वे की बात कही गई, लेकिन सर्वे नहीं हुआ। यही वजह है कि साल 2018 में आखिरी बार दिखी 74 डॉल्फिनों को ही 2019 में अद्यतन मान आंकड़ा मान लिया गया। अब इनकी संख्या 68 रह गई है, जो साल 2015 में दिखीं डॉल्फिन की संख्या के बराबर है। चंबल नदी में मगरमच्छ की संख्या तेजी से बढ़ रही है। साल 2016 में जो मगरमच्छ 454 की संख्या में थे। वे 2019 की गणना में 710 हो गए हैं।

विशेषज्ञ पहले ही कह चुके हैं कि मगरमच्छ घड़ियालों के लिए भोजन की कमी का कारण बन जाता है। जहां मगरमच्छ रहते हैं, वहां से घड़ियालों को अपनी कॉलोनियां शिफ्ट करनी होती हैं। इस लिहाज से घड़ियालों का घटना और मगरमच्छ का बढ़ना चिंताजनक है। बीते एक साल में भिंड के ज्ञानपुरा से मुरैना तक करीब 6 घड़ियालों के शव मिले। साल भर में करीब 3 मामले सामने आए, जिनमें घड़ियालों को जाम में फंसा पाया गया था। विशेषज्ञों ने पाया कि राजघाट, टिकरी रिठौरा, बाबू सिंह का घेर जैसे घाटों से घड़ियाल कॉलोनी शिफ्ट कर रहे हैं।

Related Articles

Back to top button