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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल राज्यसभा से पास, समर्थन में 125 और विपक्ष में पड़े 61 मत

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल राज्यसभा में पास हो गया है. इससे पहले राज्यसभा से जम्मू कश्मीर आरक्षण दूसरा संशोधन बिल ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने, जम्मू कश्मीर को विधायिका वाला केंद्र शासित क्षेत्र और लद्दाख को बिना विधायिका वाला केंद्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो ‘साहसिक एवं जोखिम भरे’ संकल्पों एवं दो संबंधित विधेयकों को सोमवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई. राज्यसभा ने इन मकसद वाले दो सरकारी संकल्पों, जम्मू कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2019 तथा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इससे पहले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को पारित करने के लिए उच्च सदन में हुए मत विभाजन में संबंधित प्रस्ताव 61 के मुकाबले 125 मतों से मंजूरी दे दी गई. दोनों संकल्प पारित होने से पहले ही इनका विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस और जदयू ने सदन से वाकआउट किया. मत विभाजन में राकांपा ने हिस्सा नहीं लिया.

वहीं इस बिल के पास होने के बाद 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण जम्‍मू कश्‍मीर में भी लागू हो जाएगा. इससे पहले चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर के ‘‘तीन सियासतदानों के परिवारों’’ के अलावा किसी अन्य का फायदा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इसी अनुच्छेद के कारण राज्य में आतंकवाद पनपा और बढ़ा. शाह ने सदन में आश्वासन दिया कि जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने का कदम स्थायी नहीं है तथा स्थिति समान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. विपक्ष ने राज्य का दर्जा खत्म किये जाने के कदम का काफी विरोध किया था. गृह मंत्री ने विपक्ष की इन आपत्तियों की चर्चा करते स्पष्ट किया कि जम्मू कश्मीर में ‘जैसे ही स्थिति सामान्य होगी और उचित समय आयेगा, हम जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दे देंगे.’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर ‘‘देश का मुकुट मणि’’ है और बना रहेगा.

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