अन्तर्राष्ट्रीय

दूसरे दिन भी अफगान नेताओं के साथ बातचीत की मेज पर बैठा तालिबान

मॉस्को : अफगानिस्तान की सरकार को दरकिनार करते हुए तालिबान ने बुधवार को दूसरे दिन रूस की राजधानी मास्को में प्रभावशाली अफगान नेताओं के साथ बातचीत की। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस बातचीत पर सवाल उठाए हैं। एक दिन पहले यानी मंगलवार को तालिबान के नेताओं ने कैमरों और पूर्व अफगान राष्ट्रपति हामिद करज़ई समेत ताकतवर नेताओं के सामने अफगानिस्तान के लिए अपनी योजनाएं रखी थीं। गनी को दरकिनार करते हुए विद्रोही नेता गनी के धुर प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत के लिए बैठे, जिसमें करज़ई और तालिबान के अन्य कटु दुश्मन थे। उन्होंने तालिबान के साथ नमाज़ अदा की। तालिबान की ओर से अफगान सरकार को हाशिए पर धकेलने को नजऱअंदाज करते हुए गनी की ओर से शांति वार्ता की पेशकश की गई थी, बावजूद इसके बातचीत के लिए सरकार के अधिकारियों को आमंत्रित नहीं किया गया। मॉस्को में बातचीत से पहले, कतर के दोहा में तालिबान ने 17 साल से चल रही लड़ाई को खत्म करने के लिए अमेरिकी वार्ताकारों के साथ बातचीत की थी। दोहा में भी गनी को आमंत्रित नहीं किया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मंगलवार को बातचीत को रचनात्मक बताया था और उम्मीद जताई थी कि वार्ता अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को खत्म कर देगी। तालिबान ने बुधवार को दावा किया कि अमेरिका ने दोहा में इस बात पर सहमति जताई थी कि वह अप्रैल के अंत तक अपनी आधी सेना को वापस बुलाएगा और प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। दोहा में तालिबान के राजनीतिक दफ्तर के उप प्रमुख अब्दुल सलाम हनफी ने मास्को में पत्रकारों से कहा कि अमेरिका ने अपने आधे सैनिकों को तत्काल वापस बुलाने पर सहमति जताई थी। सैनिकों की वापसी एक फरवरी से शुरू होगी और अप्रैल के आखिर तक चलेगी। अमेरिकी वार्ताकार ज़लमय खलीलज़ाद ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि जब तक सबकुछ पर सहमति नहीं बन जाती है, तब तक किसी चीज पर सहमति नहीं बनी है।

उन्होंने कहा कि अफगान वार्ता और व्यापक संघर्ष विराम में सब कुछ शामिल किया जाना चाहिए। अमेरिका ने अभी सैनिकों की संभावित वापसी के संबंध में कोई योजना सार्वजनिक नहीं की है। अमेरिकी राजधानी वाशिंगटन में गनी के सहयोगी ने जोर देकर कहा कि अफगानों को शांति प्रक्रिया का नेतृत्व करना चाहिए। महीनों से अमेरिका की ओर से तालिबान को शामिल करने का मसकद यह है कि उन्हें काबुल के साथ बातचीत के लिए राज़ी किया जाए। मध्य अमेरिकी कमान के प्रमुख जनरल जोसेफ वोटल ने अमेरिकी सांसदों से कहा है कि आखिर में, हमें तालिबान-अफगानिस्तान के बीच चर्चा कराने की जरूरत होगी। गनी ने इस मुद्दे पर मंगलवार देर शाम अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से बातचीत की थी। गनी ने अफगान प्रसारक टोलो न्यूज से कहा, ‘मॉस्को में हो रही बैठक एक भ्रम के सिवाय कुछ नहीं है। अफगान लोगों की सहमति के बिना कोई कुछ तय नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा, मॉस्को में जो लोग एकत्र हुए हैं उनके पास कोई कार्यकारी अधिकार नहीं है। वे कह सकते हैं कि वे क्या चाहते हैं लेकिन वे किसकी नुमाइंदगी कर रहे हैं?

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