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नीतीश ने केंद्र को लिखा पत्र नालंदा विश्वविद्यालय को लेकर

img_20161213022453Bihar के CM Nitish Kumar ने नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की शासी निकाय (गवर्निग बॉडी) में बदलाव को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिखा है।

पांच दिसंबर को लिखे अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कुलपति जॉर्ज यो के इस्तीफे का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि नालंदा विश्वविद्यालय की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ न किया जाए।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में हाल के दिनों में विश्वविद्यालय के शासी निकाय के भंग होने और कुलपति के इस्तीफा प्रकरण पर चिंता जाहिर की है। दो पन्नों के पत्र में नीतीश कुमार ने जॉर्ज यो के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति ने आरोप लगाया है कि शासी निकाय (गवर्निग बोर्ड) को भंग करने और नए शासी निकाय के गठन को लेकर उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया, जबकि नियमानुकूल ऐसा किया जाना चाहिए था।
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि राज्य सरकार ने पुराने गौरवशाली नालंदा विश्वविद्यालय के अतीत को दोबारा जमीन पर उतारने के लिए वर्ष 2007 में नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के गठन की प्रक्रिया शुरू की थी। राज्य सरकार ने इसके गौरव और महत्व को ध्यान में रखते हुए इसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाए जाने की सलाह भी दी है। 
मुख्यमंत्री ने इस पत्र को अपने फेसबुक वॉल पर रविवार रात डाला है। उल्लेखनीय है कि नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के दूसरे कुलपति जॉर्ज यो ने अपने पद से 25 नवंबर को इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण बताया था कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को प्रभावित किया जा रहा है। उन्हें संस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर उन्हें कोई नोटिस तक नहीं दिया गया। 
यो ने विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती बोर्ड के सदस्यों को भेजे एक बयान में कहा था, “जिन परिस्थितियों में नालंदा विश्वविद्यालय में नेतृत्व परिवर्तन अचानक और तुरंत क्रियान्वित किया गया, वह विश्वविद्यालय के विकास के लिए परेशानी पैदा करने वाला तथा संभवत: नुकसानदायक है।” 
उन्होंने आगे कहा, “यह समझ से परे है कि मुझे कुलपति के रूप में इसका नोटिस क्यों नहीं दिया गया। जब मुझे पिछले साल अमर्त्य सेन से जिम्मेदारी लेने को आमंत्रित किया गया था तो मुझे बार-बार आश्वासन दिया गया था कि विश्वविद्यालय को स्वायत्ता रहेगी। अब ऐसा प्रतीत नहीं होता।”
गौरतलब है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विश्वविद्यालय के विजिटर के रूप में 21 नवंबर को शासी निकाय का पुनर्गठन किया था, जिससे प्रतिष्ठित संस्थान की संचालन इकाई का सरकार द्वारा पुनर्गठन किए जाने के बाद संस्थान के साथ नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का संबंध खत्म हो गया था। 

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