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पाक अदालत ने गीता को सौंपने की अपील ठुकराई

Geeta lights a match as she prepares to pray at the Bilquis Edhi Foundation in Karachi, Pakistan, August 6, 2015.  REUTERS/Akhtar Soomro
 

इस्लामाबाद (एजेंसी)। पाकिस्तान की एक अदालत ने एक भारतीय वकील के गूंगी-बहरी युवती के संरक्षण के आवेदन को ठुकरा दिया। दो देशों से जुड़े मामले को देखते हुए तय किया गया कि इसे कूटनीतिक तरीकों से सुलझाया जाना चाहिए। 21 वर्षीय गीता उर्फ गुड्डी एधी होम में पली-बढ़ी, जहां वह पिछले 13 वर्ष से रह रही थी।डॉन ऑनलाइन की खबर के मुताबिक, वह लाहौर में समझौता एक्सप्रेस में अकेली बैठी पाई गई थी। माना गया कि वह भारत से वाघा सीमा को रेल से पार करने के बाद पहुंची। भारतीय वकील मोमिन मलिक के आवेदन को अदालत ने अपराध दंड संहिता की धारा 552 के तहत व्यर्थ मान कर खारिज कर दिया। आवेदनकर्ता ने एधी संस्था को प्रतिवादी मानकर अदालत से आग्रह किया कि गीता की कैद के सिलसिले में प्रतिवादी को एक रिपोर्ट पेश करने को कहा जाए।
वकील ने गीता की लिखावट और खून के नमूने लेने की भी इजाजत मांगी, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या वह भारतीय है। साथ ही उसके परिवार का भी पता लगाया जा सके, क्योंकि पांच भारतीय परिवारों ने उसे अपने घर का सदस्य होने का दावा किया। आवेदनकर्ता ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया, लेकिन किसी न किसी कारण कूटनीतिक कार्यवाही में विलंब होता रहा। आवेदनकर्ता के परामर्शदाता ख्वाजा मोहम्मद अजीम ने तर्क दिया कि इंसाफ के लिए आवेदन को स्वीकार किया जाए, क्योंकि गीता से संपर्क का कोई अन्य विकल्प नहीं है।
सत्र न्यायाधीश अहमद सबा ने कहा कि आवेदनकर्ता को भारतीय उच्चायोग के माध्यम से सही चैनल से आवेदन करना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि सबसे पहले भारत सरकार को महिला की राष्ट्रीयता को सुनिश्चित करना चाहिए।

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