पीएम मोदी बोले- देशहित के लिए लोगों का गुस्सा झेलना पड़ता है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘100 साल एसोचैम (एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया)’ में शिरकत करने पहुंचे। पीएम मोदी ने यहां लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एसोचैम ने आज एक अहम पड़ाव पार किया है। 100 वर्ष का अनुभव बहुत बड़ी पूंजी होता है। मैं एसोचैम के सभी सदस्यों को इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्या उद्योग जगत नहीं चाहता था कि देश में टैक्स का जाल कम हो। हर राज्य में अलग अलग दरों की परेशानी से उसे मुक्ति मिले। हम जीएसटी लाए। व्यापार जगत से जो भी फीडबैक मिला, हम जीएसटी में आवश्यक चीजें जोड़ते रहे। उसमें जरूरी परिवर्तन करते रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के लिए काम करने में काफी गुस्सा झेलना पड़ता है, कई लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है इसके अलावा कई आरोपों से गुजरना पड़ता है। भांति-भांति के आरोपों से गुजरना पड़ता है लेकिन ऐसाा इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि देश के लिए करना है।
अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि 70 साल की आदत को बदलने में समय लगता है। उन्होंने कहा कि पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की बात अचानक नहीं आई है। बीते पांच साल में देश ने खुद को इतना मजबूत किया है कि ऐसे लक्ष्य रखे भी जा सकते हैं और उन्हें प्राप्त भी किया जा सकता है।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं इस कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों को, विशेष रूप से एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित लोगों को बधाई देता हूं। मैं हर किसी को 2020 के लिए शुभकामनाएं देता हूं और मुझे उम्मीद है कि आप सभी को अपने सभी लक्ष्यों का एहसास होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में, देश ने खुद को एक बड़े पैमाने पर मजबूत किया है और इस प्रकार, हम पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था जैसे लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। हम सभी जानते हैं कि पांच साल पहले, हमारी अर्थव्यवस्था विनाश की ओर चल रही थी। लेकिन हमारी सरकार ने इसे बदल दिया है और अनुशासन और सकारात्मकता लाई है।
पीएम मोदी ने कहा कि जब तक पूरा देश मिलकर लक्ष्य प्राप्त नहीं करता, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी जिम्मेदारी में सक्रियता नहीं लाता तो वो एक सरकारी कार्यक्रम बन जाता है। उन्होंने कहा कि पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य जब मैंने सार्वजनिक रूप से कहा तो मुझे पता था कि सुगबुगाहट शुरु हो जाएगी, ऐसा भी कहा जाएगा कि भारत ऐसा नहीं कर सकता है। लेकिन आजकल अर्थव्यवस्था को गति देने वाले सभी समूह पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था को लेकर चर्चा तो करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में सामर्थ्य है, उस सामर्थ्य के भरोसे आगे बढ़ना है तो लक्ष्य, दिशा और मंजिल को जनसामान्य से जोड़ना ही चाहिए और मेरा यही प्रयास है। उन्होंने कहा कि आज देश में वो सरकार है जो किसान की भी सुनती है, मजदूर की भी सुनती है, व्यापारी की भी सुनती है और उद्योग जगत की भी सुनती है । उनकी आवश्यकताओं को समझने का प्रयास करती है और उनके सुझावों पर संवेदनशीलता से काम करती है।
पीएम ने कहा कि कंपनी एक्ट में सैकड़ों ऐसे प्रावधान थे, जिसमें छोटी-छोटी गलतियों के लिए क्रिमिनल एक्शन की बात थी। हमारी सरकार ने इसमें से अनेक प्रावधानों को क्रिमिनल एक्शन से मुक्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट टैक्स कम करने, उसकी प्रक्रिया को आसान करने को लेकर भी बरसों से देश में तमाम चर्चाएं होती थी। देश में जितना कॉर्पोरेट टैक्स आज है, 100 साल के इतिहास में इतना कम टैक्स कभी नहीं रहा, ये काम भी हमारी सरकार ने किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मजदूरों को लेकर बदलाव की बातें भी बहुत वर्षों से देश में चलती रही हैं। कुछ लोग ये भी मानते थे कि इस क्षेत्र में कुछ न करना ही मजदूर वर्ग के हित में है। यानि उन्हें अपने हाल पर छोड़ दो, जैसे चलता रहा है, वैसे ही आगे भी चलेगा। लेकिन हमारी सरकार ऐसा नहीं मानती है।
पीएम मोदी अर्थव्यवस्था को पारदर्शी और मजबूत बनाने के लिए, उद्योग जगत के लिए किए जा रहे हर फैसले पर सवाल उठाना ही अब कुछ लोगों का राष्ट्रीय कर्तव्य बन गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की वजह से अब 13 बैंक मुनाफे में वापस आ चुके हैं। छह बैंक पीसीए से भी बाहर निकल चुके हैं। हमने बैंकों का एकीकरण भी तेज किया है। बैंक अब अपना देशव्यापी नेटवर्क बढ़ा रहे हैं और अपनी वैश्विक पहुंच कायम करने की ओर अग्रसर हैं।
पीएम ने कहा कि 2014 से पहले भारत का बैंकिंग क्षेत्र कितना कमजोर था, इसमें कोई संदेह नहीं है। घाटे के लिए छह लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। लेकिन अब 70,000 करोड़ रुपये और 2.36 लाख करोड़ रुपये सरकार द्वारा बैंकों को उपलब्ध कराए गए हैं।
उन्होंने कहा कि विफलताओं को अपराध नहीं माना जा सकता है। देश कभी भी चुनौतियों का सामना करने के लिए एक संस्कृति विकसित नहीं कर पाएगा अगर वह ऐसा सोचता है। दुनिया ऐसे लोगों द्वारा चलाई जाती है जिनके पास जोखिम लेने की क्षमता अधिक होती है।
पीएम मोदी ने कहा कि जब 2014 से पहले के वर्षों में अर्थव्यवस्था तबाह हो रही थी, उस समय अर्थव्यवस्था को संभालने वाले लोग किस तरह तमाशा देख रहे थे, ये देश को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि तब अखबारों में किस तरह की बात होती थी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की साख कैसी थी, इसे आप भली-भांति जानते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आज एसोचैम के इस मंच से देश की बैंकिंग से जुड़े लोगों को और कॉरपोरेट जगत के लोगों को ये विश्वास दिलाना चाहता हूं कि अब पुरानी कमजोरियों पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। इसलिए खुलकर फैसले लें, खुलकर निवेश करें, खुलकर खर्च करें।