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सियासी खालीपन को भरेंगे मोदी और मुलायम

images (1)लखनऊ । एक समय था  जब पूर्वांचल की पहचान वहां के नेताओं-चंद्रशेखर  कमलापति त्रिपाठी  राज नारायण  राम मंगल पांडे  वीर बहादुर सिंह और कल्पनाथ राय की वजह से होती थी। इन नेताओं की वजह से गुलजार रहने वाला पूर्वांचल पिछले कुछ सालों में सुर्खियों से दूर रहा है  लेकिन इस लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदारों-नरेंद्र मोदी और मुलायम सिंह यादव के पूर्वांचल से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद लगातार ये पिछड़ा इलाका एक बार फिर सुर्खियों में है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरफ  से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पूर्वांचल की वाराणसी से तो समाजवादी पार्टी (सपा) की तरफ  से भावी प्रधानमंत्री बताए जा रहे पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ सीट से चुनावी मैदान में उतर गए हैं। इन दोनों दिग्गजों के साथ आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के वाराणसी से चुनावी मैदान में उतरने के ऐलान की वजह से देशभर की नजर पूर्वांचल पर है। वरिष्ठ पत्रकार सुभाष कुमार मिश्रा कहते हैं कि चुनाव के नतीजे चाहे जिसके पक्ष में जाएं  लेकिन मोदी और मुलायम के पूर्वांचल से सियासी दांव आजमाने से पूर्वांचल में अरसे बाद एक नया सियासी मेला लगेगा। ऐसा मेला जिसकी गूंज उत्तर प्रदेश के बाहर सुनाई पड़ेगी। मिश्रा कहते हैं कि मोदी और मुलायम जैसे प्रधानमंत्री पद के दावेदार नेताओं की दस्तक पूर्वांचल में उस समय हुई जब ये पूरा इलाका चमकदार नेताओं से खाली है। एक समय था जब वीर बहादुर सिंह  कल्पनाथ राय  चंद्रशेखर  कमलापति त्रिपाठी और राजनारायण सरीखे नेताओं की वजह से पूर्वांचल चुनाव के समय गुलजार रहता था। आर्थिक पैमाने पर पिछड़ा होने के बावजूद इन नेताओं की वजह से पूर्वांचल पर देश की निगाहें लगी रहती थीं।

आजमगढ़ से स्थानीय पत्रकार अशोक वर्मा कहते हैं कि इन नेताओं ने पूर्वांचल में विकास के दरवाजे खोले  लेकिन बाद में जतीय क्षत्रपों  बाहुबलियों की राजनीति पूर्वांचल के विकास में रोड़ा बन गई। मोदी और मुलायम आगमन से इस पिछड़े इलाके के लोगों की आंखों में चमक देखी जा रही है। पूर्वांचल के लोगों की आंखों में चमक आने का कारण भी है  क्योंकि बतौर मुख्यमंत्री मोदी द्वारा गुजरात में किए गए विकास कार्यों की चर्चा दुनियाभर में हो रही है। मुलायम की पार्टी सपा की सरकार ने आजमगढ़ के विकास के लिए विगत दो साल में इतनी योजनाएं शामिल की गईं कि लोग सैफई से इसकी तुलना करने लगे। राजनीतिक विश्लेषक रमेश दीक्षित कहते हैं कि मोदी और मुलायम की मौजूदगी न सिर्फ पूर्वांचल के सियासी खालीपन को भरेगी  बल्कि इस पिछड़े इलाके में नए सिरे से विकास का सिलसिला शुरू होगा। 

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