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फेसबुक पर तीखी हुई ‘फ्री सेक्स’ की बहस, बेबाक हो रहे लोग

free-sex_1464085342कुछ दिनों से सोशल मीडिया खासकर फेसबुक पर ‘फ्री सेक्स’ को लेकर एक बहस छिड़ गई है। फ्री सेक्स का मतलब है कि कोई भी व्यक्ति फिर चाहे वो महिला हो या पुरूष आपसी समझौते के तहत किसी भी व्यक्ति के साथ सेक्स संबंध बना सकता है। जर्मनी में फ्री सेक्स चलन में है जबकि भारत में अभी भी ये एक टैबू है।
हाल ही में फेसबुक पर सीपीएम लीडर कविता कृष्णन ने फ्री सेक्स के समर्थन में एक पोस्ट की थी जिस पर एक शोहदे ने कमेंट किया कि अपनी मां और बेटी से पूछो क्या उन्होंने भी फ्री सेक्स किया है? शोहदे को जवाब देते हुए कविता ने लिखा था ‘हां मेरी मां ने फ्री सेक्स किया, उम्मीद है कि आपकी मां ने भी किया होगा, क्योंकि अनफ्री सेक्स और कुछ नहीं बल्कि रेप है।’

उक्त व्यक्ति ने कविता के खिलाफ कमेंट करना जारी रखा, जब तक कविता की मां लक्ष्मी कृष्णन ने फेसबुक पर आकर उसे जवाब नहीं दिया। लक्ष्मी कृष्णन ने लिखा – हाय जीएम दास, मैं कविता की मां हूं, बिलकुल मैंने फ्री सेक्स किया है, जब और जैसे मैं करना चाहती थी और जिसका साथ चाहती थी, उसी के साथ मैंने फ्री सेक्स किया। सहमति से सेक्स चाहने वाले हर पुरुष और महिला के अधिकार के लिए मैं लड़ी क्योंकि मैं अनफ्री सेक्स को रेप समझती हूं।

कविता और लक्ष्मी की इस पोस्ट के बाद फेसबुक पर फ्री सेक्स को लेकर बहस छिड़ गई है। महिला अधिकार और सहमति से सेक्स को लेकर कविता की बेबाकी और सोच को जहां फेमिनिस्ट यूजर सराह रहे हैं तो वहीं इन विचारों को लताड़ने वाले यूजरों की भी कमी नहीं है।

जेएनयू में चलता है फ्री सेक्स?
बताते चलें कि कविता ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमन एसोसिएशन की सेक्रेटरी और सीपीएम (एमएल) पोलित ब्यूरो की सदस्य हैं। उनकी मां लक्ष्मी भी वामपंथी विचारधारा से जुड़ी हैं। इतना ही नहीं कविता सोशल मीडिया पर CPI-ML के मुखपत्र ‘लिबरेशन’ की एडिटर भी हैं।

दरअसल पिछले साल जेएनयू के कुछ टीचरों ने परिसर में छात्रों के बीच शराब और सेक्स को लेकर माहौल पर एक दस्तावेज तैयार किया था जिसमें परिसर में चल रहे कथित फ्री सेक्स की आलोचना की गई थी। कविता ने उसी दस्तावेज के विरोध में फेसबुक पर फ्री सेक्स का समर्थन करते हुए लिखा कि वो फ्री सेक्स की पक्षधर हैं क्योंकि बिना मर्जी के लिए गया सेक्स रेप की श्रेणी में आता है। इसी संबंध में एक और दस्तावेज में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी कविता के खिलाफ काफी कुछ बोल चुके हैं।

ये बहस और तीखी तब हो गई जब एक फेसबुक यूजर ने कविता को फेसबुक के माध्यम से ही इंडिया गेट पर फ्री सेक्स का निमंत्रण दे डाला। उस पोस्ट को टैग करते हुए कविता ने उसे मानसिक बलात्कार कहा और उस पोस्ट के विरोध और समर्थन में भी बहुत पोस्ट किए गए। बहरहाल फ्री सेक्स पर एक के बाद एक तीखी और सनसनी पोस्ट देखने को मिल रही है।

कुछ यूजर इसे पश्चिमी सभ्यता का आतंक बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि कामसूत्र लिखने वाले देश में फ्री सेक्स पर बात करना ऐसे है जैसे डबल पीएचडी करने के बाद फिर से एबीसीडी पढ़ना।
 

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