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फ्लैट खरीदने या मकान बनवाने से पहले किचन की वास्तु का रखें ध्यान

भाkitchen-and-vastu_650x400_41444138034रतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार उपयुक्त वास्तु-विधान से बना किचन (रसोईघर) न केवल अच्छी सेहत और सकारात्मक उर्जा देता है, बल्कि घर के धन-धान्य और समृद्धि को बढ़ाने में विशेष मददगार होता है। आइए जानते हैं कि फ्लैट खरीदने या मकान बनवाने से पहले किचन से जुड़े किस-किस वास्तु पहलू ध्यान रखना चाहिए:

  • वास्तुशास्त्र की मान्यता के अनुसार किचन के लिए आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्वी दिशा सबसे उपयुक्त है। यह अग्नि का स्थान होता हैं। विकल्प के रुप में दूसरा उपयुक्त स्थान उत्तर-पश्चिम दिशा यानी वायव्य कोण है।
  • मान्यता के अनुसार किचन में भोजन बनाते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए।
  • रसोईघर को अन्नपूर्णा बनाने के लिए बरतन और बरतन की रैक, क्रॉकरी, मसालों के डिब्बे, राशन के सामानों आदि को पश्चिम दिशा में रखने चाहिए।
  • पानी का संग्रह, जैसे- बकेट, वाटर फिल्टर, आर.ओ. फिल्टर आदि को रखने का सबसे सही स्थान उत्तर-पूर्व दिशा है।
  • मिक्सर, इंडक्शन चूल्हा, माइक्रोबेव ओवन आदि बिजली के उपकरणों को किचन के दक्षिण-पूर्व कोना में रखना चाहिए।
  • भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार चूल्हे और जूठे बरतन धोने की स्लैब अलग-अलग होनी चाहिए।
  • घर के सदस्यों के अच्छी सेहत के लिए रसोईघर में दवाइयां नहीं रखनी चाहिए।
  • वास्तुशास्त्र की मान्यता के अनुसार रसोईघर की स्लैब पर काले रंग के पत्थर का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • यदि संभव हो तो किचन के दक्षिण-पूर्व कोने पर हरे पौधों के गमले रखें। डिजाईनर किचन में इसकी व्यवस्था जरूर करवानी चाहिए, क्योंकि काष्ठ तत्व की उपस्थिति किचन को कल्याणकारी बनाते हैं।
  • जहां तक किचन की दीवालों के रंग का सवाल है, तो गुलाबी या हलका रंग सर्वोत्तम है। काले रंग का इस्तेमाल से बचें। यह हरा, पीला या क्रीम कलर भी हो सकता है।
  • किचन में यदि तस्वीरें लगानी हो तो सुंदर प्राकृतिक दृश्यों वाले तस्वीरें लगानी चाहिए। भगवान, परिवार के सदस्यों, मृतकों या पूर्वजों आदि के चित्र कदापि न लगाएं।

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