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बड़ा सवाल: क्या रेड कॉर्नर से हाथ आएगा नीरव मोदी? दाऊद-मसूद के खिलाफ भी जारी है ये नोटिस

पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी को वापस भारत लाने की तैयारी के तहत भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी कामयाबी मिली है. अंतरराष्ट्रीय एजेंसी इंटरपोल ने नीरव मोदी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है, इसकी अपील भारतीय एजेंसियों ने ही की थी. इससे नीरव मोदी को ढूंढने और उसे वापस भारत लाने में क्या सचमुच में किसी प्रकार की कोई मदद मिल पाएगी. ये देखना होगा, रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने से क्या फर्क पड़ेगा यहां समझिए…

क्या आसान होगी गिरफ्तारी?

दरअसल, जब किसी तरह का प्रत्यर्पण का मामला सामने आता है तो किसी व्यक्ति विशेष की लोकेशन को जानने के लिए ये नोटिस जारी किया जाता है. हालांकि, इसे सीधे तौर पर गिरफ्तारी वारंट नहीं माना जाता है. इंटरपोल सिर्फ इस नोटिस के तहत ये बताता है कि इस व्यक्ति विशेष के खिलाफ किसी देश में गिरफ्तारी वारंट जारी है, ये पूरी तरह उस देश पर निर्भर है कि वह उसपर क्या कार्रवाई करता है.

रेड कॉर्नर नोटिस इंटरपोल के सदस्य देश के अनुरोध पर प्रधान सचिवालय द्वारा किसी अपराधी के खिलाफ सदस्य देश द्वारा गिरफ्तारी वारंट के आधार पर जारी किया जाता है. नीरव मोदी के मामले में इसे भारत सरकार के अनुरोध पर जारी किया गया है. इससे पहले दाऊद के मामले में भी ऐसा ही हुआ था. ये नोटिस इंटरपोल के 192 सदस्य देशों पर लागू होता है.

और कितनों के खिलाफ जारी है नोटिस?

ऐसा पहली बार नहीं है कि भारत के कहने पर किसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुआ हो. इससे पहले भी करीब 160 लोगों के खिलाफ ये जारी हो चुका है, जिसमें मसूद अजहर, दाऊद इब्राहम समेत कई बड़े नाम शामिल हैं.

हवाई यात्राएं होंगी मुश्किल..

कई बार इस प्रकार की खबरें आई कि नीरव मोदी लगातार कई देशों की यात्राएं कर रहा है, लेकिन अब उसके लिए ये आसान नहीं होगा. 192 देशों में इसके तहत नीरव का ट्रैवल करना मुश्किल हो पाएगा. हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं कि वह एयरपोर्ट पर गिरफ्तार होगा. उदाहरण के तौर पर क्रिश्चियन माइकल जिसके खिलाफ 2013 में इस प्रकार का नोटिस जारी हुआ था, हालांकि वह आजतक भारत नहीं आ पाया है.

हमेशा के लिए नहीं है नोटिस…

ऐसा नहीं है कि अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ एक बार इंटरपोल नोटिस जारी हो जाए तो वह हमेशा के लिए होगा. इससे पहले जब ललित मोदी के खिलाफ ये नोटिस जारी किया गया था कि तो उनके वकील की आपत्ति के बाद ये हट गया था.

क्या कभी हो पाया सफल?

ऐसा नहीं है कि इससे कभी सफलता नहीं मिल पाई है. 2015 में दाऊद का करीब छोटा राजन भी इसी नोटिस की वजह से भारत आ पाया था. वहीं 2002 में अबू सलेम भी इसी कारण भारत की पकड़ में आ पाया था.

आपको बता दें कि नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक से करीब 13,000 करोड़ रुपए का घपला करने का आरोप है. नीरव ने फर्जी एलओयू जारी कर बैंक से लोन लिए और अब फरार हो गया.

इंटरपोल ने अपनी वेबसाइट पर भी नीरव मोदी के खिलाफ जारी रेड कॉर्नर नोटिस की जानकारी दी है. हाल ही में ईडी ने अपनी चार्जशीट जारी करने के बाद इंटरपोल से इसकी सिफारिश की थी. इस नोटिस में नीरव मोदी की तस्वीर के साथ-साथ उसकी जानकारी और उसपर लगे चार्ज भी हैं.

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