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भूमि विधेयक पर एनडीए में ही दरार

NDAनई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के बारे में बदलती धारणा से चिंतित आरएसएस ने सरकार को सलाह दी है कि वो अपने सहयोगियों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान दे। संघ ने अपने सहयोगियों को सरकार की कड़ी आलोचना करने से बचने की भी सलाह दी है। संघ ने कहा है कि सरकार की नीतिगत पहलों पर प्रतिक्रिया देने से सहयोगियों को बचना चाहिए। गौरतलब है कि भूमि बिल और श्रम कानून जैसे कुछ विषयों पर शिवसेना और अकाली दल ने आपत्ति जताई है और कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्ति की है। संघ की सलाह के बाद यह माना जा रहा है कि सरकार भूमि बिल को अपने मौजूदा प्रारूप में पेश नहीं करेगी। वहीं श्रम कानून के मुद्दे पर संघ की शाखा भारतीय मजदूर संघ के चिंताओं को दूर करने के लिए भी सरकार उपयुक्त कदम उठा सकती है। भूमि विधेयक पर एनडीए में ही दरार देखने को मिल रही है। भाजपा के तीन सहयोगी शिवसेना, अकाली दल और स्वाभिमानी पक्ष ने प्रस्तावित कानून के प्रावधानों पर असहमति जताई है। शिवसेना पहले से ही विरोध दर्ज करा रही थी अब शिरोमणि अकाली दल के पांच सांसदों नरेश गुजराल, बलविंदर सिंह भुंदर, सुखदेव सिंह ढींढसा, प्रेम सिंह चंदूमाजरा और शेर सिंह घुबैया ने भूमि अधिग्रहण कानून के मसौदे पर विचार कर रही संयुक्त समिति को पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है। सांसदों ने कहा है कि उनका दृढ़ता से मानना कि जमीन किसानों की अनमोल संपत्ति है और एक इंच जमीन भी किसानों, भूस्वामियों की मंजूरी के बिना सरकार द्वारा अधिग्रहीत नहीं की जानी चाहिए।

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