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यूपी चुनाव: प्रियंका हुईं सक्रिय, 2019 की रणनीति अभी से!

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अपने राजनीतिक वजूद की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस अब समाजवादी पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन को अपनी बड़ी कामयाबी मान रही है। साथ ही पार्टी इस बात को बेझिझक कुबूल रही है कि सपा और कांग्रेस के बीच सियासी दोस्ती की नई कहानी को लिखने में प्रियंका गांधी ने बेहद खास भूमिका निभाई है। सीट बंटवारे की खींचतान में शनिवार को आए नाजुक दौर में प्रियंका ने ही सपा प्रमुख और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सीधे संपर्क साधा। इसके बाद ही अखिलेश ने भी कांग्रेस की “प्रतिष्ठा” का खयाल रखने के लिए अपनी कुछ सीटों की कुर्बानी दे दी। बताया जाता है कि इसमें अखिलेश की सांसद पत्नी डिंपल यादव ने भी बेहद सकारात्मक भूमिका निभाई।

कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन में प्रियंका गांधी के अहम रोल का खुला इजहार तो खुद पार्टी के दिग्गज अहम पटेल ने भी किया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने रविवार को कहा कि यह कहना गलत है कि सपा नेतृत्व से गठबंधन पर पार्टी के शीर्ष नेता बात नहीं कर रहे। पटेल ने अपने एक ट्वीट में कहा कि प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ खुद प्रियंका गांधी का गठबंधन पर सपा के शीर्ष नेतृत्व से संवाद होता रहा। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक शनिवार को जब अखिलेश ने कांग्रेस हाईकमान के दूत प्रशांत किशोर को 100 से ज्यादा सीट देने से मना किया और गठबंधन टूटने की नौबत आ गई। तब प्रियंका ने ही जल्दबाजी नहीं करने की सलाह देते हुए देर रात अखिलेश से संपर्क साध बीच का रास्ता निकाला। इसमें कांग्रेस 110 सीट की मांग से नीचे आई और अखिलेश 100 से आगे बढ़े। अंततः 105 सीटों पर शनिवार देर रात ही गठबंधन की बात बनी।
राहुल के विदेश दौरे से थीं सक्रिय
बेशक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और अखिलेश यादव के बीच दोस्ताना ताल्लुक हैं, मगर राहुल के मुकाबले प्रियंका ने उत्तर प्रदेश के प्रभारी कांग्रेस महासचिव गुलाम नबी आजाद, राज बब्बर और प्रशांत किशोर के जरिए गठबंधन को अंजाम तक पहुंचाने में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाई। राहुल जब नए साल पर करीब दस दिन विदेश प्रवास पर थे उस दौरान प्रियंका ही सपा से गठबंधन की कसरत का संचालन कर रही थीं। पार्टी इस बात पर अब राहत महसूस कर रही है कि सपा से उसका यह गठबंधन न केवल उत्तर प्रदेश में उसके विधायकों की संख्या बढ़ाएगा बल्कि इसने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एक व्यापक सेक्यूलर गठबंधन की बुनियाद भी रख दी है।

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