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राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए नहीं चाहिए RBI से फंड: अरुण जेटली

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया कि सरकार को अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए रिजर्व बैंक या किसी अन्य संस्था से कोई अतिरिक्त धन नहीं चाहिए. हालांकि, जेटली ने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक के पूंजी ढांचे के लिए जो भी नई रूपरेखा बनेगी और उससे जो अतिरिक्त कोष प्राप्त होगा, उसका इस्तेमाल भविष्य की सरकारें आने वाले वर्षों में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में कर सकती हैं.

राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए नहीं चाहिए RBI से फंड: अरुण जेटली वित्तमंत्री ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘हमें अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने के लिए अन्य संस्थाओं से किसी तरह के अतिरिक्त धन की आवश्यकता नहीं है. मैं इसे स्पष्ट करना चाहता हूं कि सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं है. हम यह भी नहीं कह रहे हैं कि अगले 6 माह में हमें कुछ धन दीजिए. मुझे इसकी जरूरत नहीं है.’

बता दें कि चालू वित्त वर्ष के बजट में भारत के राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3.3 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया है. रिजर्व बैंक के कोष पर सरकार की नजर होने की बात को लेकर हो रही आलोचना पर जेटली ने कहा कि पूरी दुनिया में केन्द्रीय बैंक के पूंजी ढांचे की एक रूपरेखा तय होती है. इसमें केन्द्रीय बैंक द्वारा रखी जाने वाली आरक्षित राशि तय करने का प्रावधान किया जाता है.

जेटली ने कहा, ‘हम सिर्फ यही कह रहे हैं कि इस बारे में कुछ चर्चा और कुछ नियम होने चाहिए, जिसके तहत रिजर्व बैंक के लिए पूंजी ढांचे की रूपरेखा तय हो.’ उन्होंने कहा कि ऐसे में जो अधिशेष राशि होगी, उसका इस्तेमाल भविष्य की सरकारें अगले कई वर्षों तक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए कर सकती हैं.

रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बोर्ड ने इस माह हुई अपनी बैठक में रिजर्व बैंक के आर्थिक पूंजी ढांचे की रूपरेखा (ECF) तय करने के लिए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति बैठाने का फैसला किया है. यह समिति केन्द्रीय बैंक के पास रहने वाली आरक्षित पूंजी के उचित स्तर के बारे में सुझाव देगी. माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक के पास इस समय 9.59 लाख करोड़ रुपये का भारी भरकम कोष रखा है.

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