फीचर्डराज्यराष्ट्रीय

राष्ट्रपति कलाम के बाद कोविंद करेंगे रॉयल प्रेसिडेंशियल सैलून से सफर

 


राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 25 जून को द रॉयल प्रेसिडेंशियल सैलून (ट्रेन) से कानपुर सेंट्रल पर शाम सात बजे आएंगे। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 2004 में इस ट्रेन से चंडीगढ़ से नई दिल्ली का सफर किया था। इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने भी इस ट्रेन से यात्रा करने की इच्छा जताई थी लेकिन कार्यक्रम तय नहीं हो सका था। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस ट्रेन का इस्तेमाल नहीं किया। अब रामनाथ कोविंद इस राजशाही एहसास दिलाने वाली ट्रेन से कानपुर सेंट्रल आएंगे, जिसका यह स्टेशन हमेशा के लिए गवाह बनेगा।

कानपुर सेंट्रल पर 25 जून को शाम सात बजे ट्रेन प्लेटफार्म नंबर एक पर आएगी। पहली बार यह ट्रेन छह या इससे अधिक कोच की होगी। अभी तक यह दो कोच की ट्रेन ही होती थी। यहां पर सभी बड़े प्रशासनिक अधिकारी और रेलवे के अधिकारी उनको रिसीव करेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आ सकते हैं, लेकिन अभी इस संबंध में कोई अधिकारिक शेड्यूल जारी नहीं किया गया है।

राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिहाज से किसी के आने जाने की वहां अनुमति नहीं होगी। आधे घंटे पहले ही सुरक्षा एजेंसियों के कब्जे में कानपुर सेंट्रल स्टेशन आ जाएगा। ट्रेन के आगे पीछे कुछ फासले पर ही दूसरी ट्रेनों का आना जाना होगा। राष्ट्रपति का स्वागत करने वालों का आधिकारिक सूची में नाम होगा। जिस व्यक्ति का सूची में नाम नहीं होगा वह मिल नहीं पाएगा। ट्रेन से उतरने से लेकर कैंट साइड पोर्टिको तक जाने में जबरदस्त सुरक्षा घेरा रहेगा। सर्किट हाउस जाने के लिए उनकी फ्लीट का स्टेशन से निकलने का गेट रिजर्व होगा। राष्ट्रपति के निकलने के बाद इस ट्रेन को कानपुर सेंट्रल के प्लेटफार्म नंबर 10 पर खड़ा करने की संभावना है। तीन दिन इस ट्रेन की सुरक्षा में भी भारी सुरक्षा बल तैनात रहेगा।

ट्रेन के कोच एलएचबी (लिंग हॉफमैन बुश) तकनीकी पर आधारित मजबूत कोच होते हैं। किसी फाइव स्टार होटल के कमरों जैसा इसे सजाया गया है, जिसमें बैठने वाले को राजशाही जैसा एहसास होता है। इसमें जीपीएस और जीपीआरएस, सैटेलाइट एंटिना, टेलीफोन एक्सचेंज, मॉड्यूलर किचन, एक कोच से दूसरे कोच में संबंधित को निर्देश देने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम होता है और इसकी खिड़कियां बुलेटप्रूफ होती हैं। इस ट्रेन को 1956 में राष्ट्रपति के लिए बनाया गया था, तब यह दो कोच का सैलून होता था।

Related Articles

Back to top button