दस्तक-विशेषस्तम्भ

विकास व विश्वास के पर्याय नरेन्द्र मोदी

बृजनन्दन राजू

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर विशेष

स्तम्भ : भारत देवभूमि है। यहां पर त्यागी तपस्वी महापुरूषों के जन्म लेने और समाज के हित अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देने की एक लम्बी श्रंखला रही है। किसी ने समय दिया, किसी ने जवानी दी, किसी ने धन, वैभव और घर छोड़ा। भारतवर्ष की धरती और यहां पर जन्म लेने वाले ऐसे महापुरूष धन्य हैं जिन्होंने अपने जीवन को होम कर भारत की गौरवशाली परम्परा को जीवंत रखा। इसी कड़ी में एक नाम आता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा से निकले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का। संघ का स्वयंसेवक और प्रचारक कैसा होता है लोग नरेन्द्र मोदी का आचरण देखकर सहज अनुमान लगा सकते हैं।

प्रचारक को स्वयं पर कम से कम खर्च करना चाहिए प्रधानमंत्री होने के बाद नरेन्द्र मोदी के जीवन में यह देखने को मिलता है। जगत प्रसिद्ध राजनेता भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। लंबे समय तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के बाद लगादार दूसरी बार उनके नेतृत्व में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनना उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण है। कार्य के प्रति निष्ठा और परिश्रम की पराकाष्ठा के साथ—साथ चुनौतियों को अवसर के रूप में लेना उनकी फितरत है। यही कारण रहा कि विपक्ष ने जब भी उनके ऊपर कोई आरोप लगाया उन्होंने उसे हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। विश्व में लोकप्रिय श्रेष्ठ प्रशासक और सुशासक के रूप में नरेन्द्र मोदी का नाम लिया जाता है। आना जाना खाना खिलाना प्रीति बढ़ाने के चार लक्षण माने जाते हैं। मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद पूरे विश्व का दौरा किया। विश्व में संबंध प्रगाढ़ किये। बहुत से ऐसे देश में वह गये जहां अभी तक भारत का कोई प्रधानमंत्री गया ही नहीं था। यहां के विपक्ष को कुछ नहीं मिलता तो कहता कि मोदी हमेशा विदेश दौरे पर ही रहते हैं। उनके दौरे का अर्थ लोगों को समझ में आने लगा है। विश्व के छ: राष्ट्रों ने मोदी को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया है। आज भारत की ओर दुनिया का कोई देख आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं कर सकता। डोकलाम जैसे विवाद को बिना युद्ध के निपटाना सामान्य बात नहीं है। चीन जैसे अविजित राष्ट्र को अपने पैर पीछे खींचने पड़े। पूर्ववर्ती सरकारें जहां पाक से ही त्रस्त रहती थीं अमेरिका से मध्यस्थता की गुहार लगाती थी। आज इसके उलट हो रहा है। मोदी का प्रभाव है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कश्मीर पर मध्यस्थता की बात कहने पर माफी मांगनी पड़ी। जो पाक गीदड़ धमकी देता था आज वह अपने अस्तित्व के लिए रोता फिर रहा है। पाक की पूर्ववर्ती हुकूमतें कश्मीर पर राग अलापती थीं आज स्थिति है कि चीन के अलावा कोई भी देश उन्हें भाव नहीं दे रहा है। 2014 में प्रधानमन्त्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद मोदी की पहली रैली हरियाणा प्रान्त के रेवाड़ी शहर में हुई। रैली को सम्बोधित करते हुए उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश को आपस में लड़ने की बजाय ग़रीबी और अशिक्षा से लड़ना चाहिये। प्रधानमंत्री बनने के बाद कई बार बातचीत का प्रयास किया। मोदी की दोस्ती की भाषा पाक नहीं समझ सका। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान के जन्मदिन में शरीक होने लाहौर भी चले गये लेकिन जब पाक अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो उसके खिलाफ एअर स्ट्राइक करने से भी नहीं चूके। इस समय पाक भयाक्रान्त है। कश्मीर को तोड़ने की धमकी देने वाले पाक हुक्मरान के समाने पीओके बनेगा भारत का हिस्सा यह नारा लगता है।

प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने वंचित वर्ग में प्रेरणा जगाकर उसमें ऊपर उठने की ललक जगाई। उज्जवला और जनधन जैसी योजना शुरू कर अंतिम व्यक्ति के जीवनस्तर को ऊपर उठाने का काम किया। किसी भी देश के संपूर्ण विकास का मापन वहां के वंचितों-पीड़ितों के विकास के आधार पर होता है। सच्चा सर्वांगीण विकास वही है, जिसमें अंतिम छोर में निवास करने वाले छोटे-से-छोटे आम आदमी तक विकास का लााभ पहुँचे। नोटबंदी व जीएसटी जैसे कठोर निर्णय भी लिये गये लेकिन जतना ने मोदी पर भरोसा किया और दुबारा बहुमत भाजपा को दिया। कठिन से कठिन से काम को आसानी के साथ कैसे निपटाना कोई मोदी से सीखे। दूसरी पर सत्तारूढ़ होने के तीन महीने के भीतर तीन तलाक और जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर केन्द्र शासित प्रदेश बनाना आसान काम नहीं था।

नरेंद्र मोदी को अपने बाल्यकाल से कई तरह की विषमताओं एवं विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है किन्तु अपने उदात्त चरित्रबल एवं साहस से उन्होंने तमाम अवरोधों को अवसर में बदल दिया, विशेषकर जब उन्होंने उच्च शिक्षा हेतु कॉलेज तथा विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। उन दिनों वे कठोर संद्यर्ष एवं दारुण मन:ताप से घिरे थे, परन्तु् अपने जीवन- समर को उन्होंने सदैव एक योद्धा-सिपाही की तरह लड़ा है। आगे क़दम बढ़ाने के बाद वे कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखते, साथ-साथ पराजय उन्हें स्वीकार्य नहीं है। 1984 में यहीं उन्हें निस्वार्थता, सामाजिक दायित्वबोध, समर्पण और देशभक्ति के विचारों को आत्म सात करने का अवसर मिला। अपने संघ कार्य के दौरान नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं। फिर चाहे वह 1974 में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ चलाया गया आंदोलन हो, या ‘आपात काल’ हो।1987 में भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) में प्रवेश कर उन्होंने राजनीति की मुख्यधारा में क़दम रखा। सिर्फ़ एक साल के भीतर ही उनको गुजरात इकाई के प्रदेश महामंत्री के रूप में पदोन्नत कर दिया गया। तब तक उन्होंने एक अत्यंत कार्यशील नेता के रूप में प्रतिष्ठा हासिल कर ली थी। अप्रैल, 1990 में केन्द्र में साझा सरकार का गठन हुआ। हालांकि यह गठबंधन कुछ ही महीनो तक चला, लेकिन 1995 में भाजपा अपने ही बलबूते पर गुजरात में दो तिहाई बहुमत हासिल कर सत्ता में आई। वर्ष 1998 में पार्टी के सबसे बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी ने तब उनसे गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावों की कमान संभालने को कहा था।

विश्वविद्यालय की अपनी शिक्षा के दौरान ही मोदी संघ के पूर्ण कालिक प्रचारक बन गए थे। बाद में उन्होंने राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट किया था और शंकर सिंह वाघेला के साथ मिलकर गुजरात में भाजपा कार्यकर्ताओं का एक मजबूत आधार तैयार किया। शुरुआती दिनों में जहां वाघेला को जनता का नेता माना जाता था वहीं मोदी की ख्याति एक कुशल रणनीतिकार की थी। अप्रैल 1990 में जहां पार्टी को केन्द्र में गठबंधन सरकार बनाने का मौका मिला। केन्द्र में सरकार भले ही लम्बे समय तक नहीं चल सकी हो लेकिन 1995 में गुजरात में भाजपा ने दो तिहाई बहुमत हासिल किया। लाल कृष्ण आडवाणी ने नरेन्द्र मोदी को दो महत्वपूर्ण कामों की जिम्मेदारी सौंपी। एक थी कि सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा की तैयारी करना। इसी तरह का दूसरा मार्च कन्याकुमारी से कश्मीर तक के लिए रखा गया। राज्य में शंकर सिंह वाघेला के पार्टी से निकल जाने के बाद केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया और नरेंद्र मोदी मोदी को पार्टी का महासचिव बनाकर नई दिल्ली भेज दिया गया। पर 2001 में पार्टी ने नरेन्द्र मोदी को केशूभाई का उत्तराधिकारी चुन लिया। नरेन्द्र मोदी ने चुनाव जीता और वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने रहे।

नरेन्द्र मोदी भारतीयों के सपनों और आकांक्षाओं के लिए आशा की एक किरण बन कर आए हैं। सबका साथ सबका विकास के बाद सबका विश्वास जीतने में वह लगे हुए हैं। उनका एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण का संकल्प है जो मज़बूत, खुशहाल और समावेशी हो और जहां प्रत्येक भारतीय अपनी आशाओं और आकांक्षाओं को फलीभूत होते हुए देख सकता हो। नरेन्द्र मोदी एक कठोर प्रशासक और कड़े अनुशासन के आग्रही हैं, लेकिन वे मृदुता एवं करूणा के सागर भी हैं। नरेन्द्र मोदी को मितव्ययी और मिताहारी के तौर पर जाना जाता है। वे अपने विरोधियों को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं। राजनेता के अलावा नरेन्द्र मोदी एक लेखक भी हैं। सामाजिक समरसता,इक्जाम वारियर्स और ज्योतिपुंज नामक पुस्तक बहुत ही लोकप्रिय हुई हैं।

मोदी के मन की बात कार्यक्रम जहां सर्वाधिक लोकप्रिय रहा वहीं स्वच्छ भारत अभियान पर प्रधानमंत्री की अपील कारगर साबित हुई। पर्यावरण के क्षेत्र में मोदी का प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान की शुरूआत काबिलेतारीफ है। रक्षा,अनुसंधान की दृष्टि से भी विश्व पटल पर भी भारत की साख बढ़ी है। दुनिया का कोई देश भारत पर नजर उठाने की हिम्मत न कर सके ऐसी हनक हमारी होनी चाहिए। हाल के वर्षों में हमने अपनी सामरिक क्षमता का परिचय विश्व को दे दिया है। नरेन्द्र मोदी ने देश को एक नई दिशा दी है। भारत आंतरिक और वाह्य सुरक्षा के मामलों में मजबूत हुआ है। विगत पांच वर्ष की उपलब्धियों पर नजर डालें तो विस्मयकारी बदलाव हुआ है। आज नरेन्द्र मोदी सुरक्षा,समृद्धि,विकास और विश्ववास के पर्याय बन गए हैं।

(यह विचार लेखक के स्वतंत्र विचार हैं, इनसे प्रकाशक एवं संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है।)
(लेखक प्रेरणा शोध नोएडा से जुड़े हैं)
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