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व्यापारियों ने कहा, पिछले दस वर्षों में ये है सबसे मंदी दिवाली

बाजारों में छाया मंदी का असर दिवाली का त्योहारी सीजन आने के बाद भी खत्म नहीं हुआ है। व्यापारियों का कहना है कि पिछले दस वर्षों में यह सबसे फीकी दिवाली रही है। ग्राहक बाजार में बहुत कम आ रहे हैं और सामानों की बिक्री पर गहरा असर पड़ा है। अनुमान है कि इस बार बाजार पिछले वर्षों की तुलना में 40 फीसदी तक कम व्यापार कर सकता है।

व्यापारियों ने कहा, पिछले दस वर्षों में ये है सबसे मंदी दिवाली

कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि दिवाली ऐसा त्योहार माना जाता है जिसके आसपास पूरे वर्ष में सबसे ज्यादा व्यापार होता है। इस वर्ष सोने का भाव 32,800 प्रति दस ग्राम है और इसकी मांग में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई और इस कारण इसके भाव में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। चांदी के मामले में भी यही बात लागू होती है और इसका भाव 39,500 रुपये प्रति किलो है। उन्होंने कहा कि सोने-चांदी के व्यापार में भारी गिरावट दर्ज की गई है।

बाजार में आई मंदी के कारणों पर विचार करते हुए खंडेलवाल ने कहा कि नकदी में कमी बाजार में छाई मंदी का सबसे बड़ा कारण है। बैंकों के सकारात्मक रुख न होने की वजह से कैशलेस बाजार में भी अपेक्षित बढ़ोतरी दर्ज नहीं हो पाई।

उनके मुताबिक ऑनलाइन बाजार ने भी बाजार को कमजोर करने में बड़ी भूमिका निभाई है। ग्राहकों को बेतरतीब मिल रही छूट उन्हें वहां जाने को प्रेरित कर रही है। लेकिन इसकी वजह से देश के खुदरा बाजार पर भारी नकारात्मक असर पड़ा है। वे लगातार सरकार से इस पर नियम बनाने की मांग करते रहे हैं लेकिन सरकार ने इसकी कोई सुनवाई नहीं की।

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