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‘संतुलित शिक्षा’ मनुष्य की बौद्धिक क्षमताओं का विकास करती है


लखनऊ : सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर आॅडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व एकता सत्संग’ में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका व बहाई धर्मानुयायी डा. भारती गाँधी ने कहा कि मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो सर्वगुण सम्पन्न है, फिर भी इन गुणाके विकास के लिए संतुलित शिक्षा परम आवश्यक है। सच तो यह है कि मुनष्य रत्नों से भरी हुई खान है, परन्तु शिक्षा के द्वारा ही रत्नों की यह खान उजागर हो पाती है। अतः बुद्धिमान व शिक्षित व्यक्ति से बड़ा धनवान कोई नहीं है।
डा. गाँधी ने आगे कहा कि शिक्षा हमें न केवल जीवन जीने की कला सिखाती है अपितु मृत्यु के बाद के लिए भी तैयार करती है। यह सर्वोच्च शिक्षा हमें युग के अवतार से प्रापत होती है – जैसे राम, कृष्ण, मोहम्मद साहब, ईसा मसीह, गौतम बुद्ध, गुरू नानक और बहाउल्लाह आदि। अवतारों के मार्ग पर चलना ही प्रभ के मार्ग पर चलना है। गुरू या अवतार के बिना हम अपने अन्दर निहित शक्तियों को नहीं पहचान पाते, ऊपर से सांसारिक इच्छायें भी हमारे मार्ग को ढक दती है। हमें इन सब से ऊपर उठना चाहिए और सीधे अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। इससे पहले, सत्संग का शुभारम्भ समुधर भजनों से हुआ जबकि सत्संग की संयोजिका वंदना सभी उपस्थित सत्संग प्रेमियों का स्वागत-अभिनन्दन किया। इस अवसर पर कई विद्वजनों ने अपने विचार रखे।

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