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सरकार की बड़ी रणनीति: अब पानी के जरिये पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर करेगा भारत

एजेंसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपने एक दिवसीय दौरे के दौरान श्रीनगर में 330 मेगावाट के किशन गंगा हाइड्रोपावर स्टेशन राष्ट्र को समर्पित किया। इसके साथ ही पकुल दर पावर प्रोजेक्ट और जम्मू, श्रीनगर में रिंग रोड की भी आधारशिला रखी।

इन योजनाओं को भारत की पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी का बंटवारा किया गया था। 19 सितंबर 1960 को कराची में दोनों राष्ट्रप्रमुखों ने सिंधु नदी समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते के मुताबिक, भारत अपने हिस्से के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करेगा, जिससे पाकिस्तान के लिए परेशानी पैदा हो सकती है।

बता दें कि 2016 में उड़ी आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद यह फैसला लिया गया कि अब सिंधु नदी के पानी के ज्यादा से ज्यादा उपयोग भारत करेगा। इस आतंकी हमले के बाद पीएम मोदी ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कि या तो पाकिस्तान आतंक का खात्मा करे या वर्तमान समझौते के तहत पानी से हाथ धोना पड़ेगा। इसके साथ ही पीएम ने उस वक्त यह भी कहा था कि ‘खून और पानी दोनों एक साथ नहीं बह सकते।’

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में पिछले कुछ वर्षों से पानी एक अहम मुद्दा है। इसके साथ ही साल 2011 में यूनाइटेड स्टेट सेनेट कमिटी की एक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि भारत भविष्य में बिजली परियोजनाओं के जरिए पाकिस्तान की जीवनदायिनी सिंधु नदी के पानी को नियंत्रित कर सकता है। इस विद्युत परियोजना के उद्धाटन के बाद माना जा रहा है कि आने वाले समय में पाकिस्तान को अब पानी की कमी से जूझना पड़ेगा। हालांकि इन परियोजनाओं स्वीकृति तो कई सालों पहले मिल गई थी, लेकिन किन्ही वजहों से काम शुरू नहीं हुअा था।

इन परियोजनाओं को भी किया समर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दौरे के दौरान शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कांफ्रेंस सेंटर (एसकेआईसीसी), श्रीनगर में 330 मेगावाट के किशन गंगा हाइड्रोपावर स्टेशन को भी राष्ट्र को समर्पित किया। पकुल दर पावर प्रोजेक्ट और जम्मू, श्रीनगर में रिंग रोड की भी आधारशिला रखी। रिंग रोड बन जाने से यातायात की लगातार विकराल होती समस्या का हल होगा। उन्होंने श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मैटीरियल रोपवे के साथ ही ताराकोट मार्ग का भी औपचारिक आगाज किया। प्रधानमंत्री ने शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलाजी (स्कास्ट) केदीक्षांत समारोह में भी शिरकत की।

लेह में बतौर प्रधानमंत्री दूसरा दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह लेह में बतौर प्रधानमंत्री दूसरा दौरा है। इससे पहले वह यहां 12 अगस्त, 2014 को पहुंचे थे, जब उन्होंने यहां एक हाइडिल प्रोजेक्ट का आगाज किया था। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने सड़क पर रुककर उनके स्वागत के लिए एकत्र हुए लोगों से मुलाकात की। उन्होंने गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए लेह के लोगों का शुक्रिया अदा किया। लेह की सीमा पाकिस्तान और चीन के साथ लगती है।

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