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सुर्ख लाल दिखेगा आज का चन्द्रमा, सदी का सबसे लम्बा चन्द्रग्रहण


नई दिल्ली : सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण आज लगेगा, जो भारत में रात पौने 12 बजे से शुरू होकर तड़के सुबह तक दिखेगा। श्वेत-धवल चांदनी बिखेरने वाला चांद आज सुर्ख लाल नजर आएगा। इस पूरी खगोलीय घटना को किसी खास उपकरण का इस्तेमाल किए बिना देखा जा सकेगा। देश में पूर्णकालिक चंद्रग्रहण पूरी तरह से दिखाई देगा। 11:44 बजे शुरू होकर 11.54 बजे अंशकालिक ग्रहण लगेगा। पूर्णकालिक ग्रहण रात 1 बजे शुरू होगा। 1:51 पर चंद्रमा पर पूर्ण ग्रहण लगेगा, 2:43 बजे पूर्णकालिक ग्रहण खत्म होगा, आंशिक ग्रहण दोबारा 3:49 बजे शुरू होगा, 4:58 बजे ग्रहण खत्म होगा। इसके पहले 31 जनवरी को साल का पहला चंद्रग्रहण लगा था। तब तीन खगोलीय नजारे (पूर्ण चंद्रग्रहण, ब्लू मून और सुपर मून) एक साथ दिखाई दिए थे। जनवरी में लगने वाले पूर्ण चंद्रग्रहण को भारत में 174 वर्ष बाद देखा गया था। इसके पहले यह भारत में 31 मई, 1844 को दिखाई दिया था। इस चंद्रग्रहण की अवधि लंबी होने का कारण यह है कि चंद्रमा अपनी कक्षा में उस स्थान के नजदीक है, जहां से वह पृथ्वी से सबसे अधिक दूरी पर होता है, इससे वह सामान्य से छोटा नजर आता है, इसे कई बार माइक्रोमून भी कहा जाता है, दूसरा कारण यह है कि आज चंद्रमा पृथ्वी की छाया के बीचोबीच से निकलेगा, जिससे वह ज्यादा देर अंधेरे में रहेगा। पूर्ण चंद्रग्रहण तब लगता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं।

पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा जब पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो वह नाटकीय रूप से चमकीले नारंगी रंग से लाल रंग का हो जाता है। यही कारण है कि इस अवधि में उसे ‘ब्लड मून’ कहा जाता है। प्रच्छाया तीन प्रकार के होते हैं-
अंब्रा : यह छाया का सबसे भीतरी और सबसे गहरा भाग होता है। जहां रोशनी पूरी तरह अवरुद्ध होती है।
पेनम्ब्रा : यह अंब्रा के दोनों तरफ मौजूद हल्की छाया वाला भाग होता है जहां आंशिक रूप से रोशनी दिखाई देती है।
एंटंब्रा : छाया का वह भाग जहां से देखने पर उस वस्तु का पूरा आकार नजर आता है जिसकी छाया पड़ रही है। एंटंब्रा में आगे की ओर आते हुए हम अंब्रा में आ जाएंगे।

सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वातावरण से विक्षेपित होती है। इस प्रक्रिया को अपवर्तन (रिफ्रेक्शन) कहते हैं और यह किसी लेंस की तरह सूर्य की लालिमा को पृथ्वी के पीछे खाली जगह पर घुमा देती है। जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की परछाई में दाखिल होता है तो यह लाल रोशनी चंद्रमा पर गिरती है, जिससे वह लाल दिखता है। जितना साफ आसमान होगा चंद्रमा उतना ही अधिक लाल और चमकदार नजर आएगा।जब अमेरिकी खोजी कोलंबस अपनी चौथी यात्रा पर निकले तो तूफान के चलते उनका जहाज जमैका में रुका। वे दो जहाज खो चुके थे और बचे दो जहाजों पर मौजूद राशन खत्म हो रहा था। जून, 1503 में उन्होंने स्थानीय लोगों से मदद मांगी। कुछ महीने तो गुजर गए, लेकिन अगले वर्ष फरवरी तक कोलंबस और स्थानीय लोगों के बीच मतभेद उभरने लगे। ऐसे में लोगों को मनाने के लिए कोलंबस ने अपने खगोलीय ज्ञान का इस्तेमाल किया और 29 फरवरी, 1504 को लोगों को बताया कि भगवान उनसे नाराज हैं और आज की रात वे क्रोध चंद्रमा पर उतारने वाले हैं। इसके थोड़ी देर बाद ही पूर्ण चंद्रग्रहण लगा और चंद्रमा लाल हो गया। स्थानीय लोगों ने डरकर कोलंबस की पूरी तरह मदद की।

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