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सेंसर बोर्ड के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करेंगे- कट्याल

kaum-de-herreजालंधर। इंदिरा गांधी के हत्यारों पर बनी पंजाबी फिल्म ‘‘कौम दे हीरे’’ के प्रदर्शन पर रोक लगाये जाने के बाद फिल्म निर्माता ने कहा है कि वह अपने अगले कदम के लिए कानूनी सलाह ले रहे हैं और जल्दी ही इस मामले में वह अदालत जायेंगे तथा सेंसर बोर्ड के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करेंगे। ‘कौम दे हीरे’ फिल्म के निर्माता सतीश कट्याल ने कहा, ‘‘हमने वकील से सलाह ली है। सबसे पहले हम सेंसर बोर्ड पर केस करेंगे। मामले को लेकर अदालत भी जायेंगे। हालांकि कोई भी कार्रवाई अधिवक्ता की सलाह के अनुसार ही की जाएगी। हम इस मामले को लेकर लोगों के बीच भी जायेंगे।’’ कट्याल ने कहा, ‘‘फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है। यह सब केवल राजनीतिक दबाव के कारण हुआ है। भाजपा नेता लक्ष्मीकांता चावला के दबाव में दो दिन के भीतर केंद्र सरकार ने ऐसा किया है। फिल्म के प्रदर्शन के लिए रिश्वत देने की भी अफवाह फैलायी गयी है। ताज होटल पर हमले और राजीव गांधी की हत्या पर बनी फिल्मों को क्यों नहीं रोका गया।’’ इस बात पर कि गृह मंत्रालय को फिल्म की विषयवस्तु पर आपत्ति थी, उन्होंने कहा कि 17 अगस्त को जब गृह मंत्रालय और गुप्तचर ब्यूरो के अधिकारियों ने इस फिल्म को देखा था, तब उन्होंने आपत्ति क्यों नहीं जतायी।’’ कट्याल ने कहा कि ऐसा कहा जा रहा है कि इतिहास को कुरेदने से जख्म ताजा होंगे। क्या ताज होटल हमला और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या पर आधारित फिल्म जख्म ताजा नहीं कर रहे हैं। यह सब राजनीतिक दबाव के कारण हुआ है। भाजपा नेता लक्ष्मीकांता चावला की आलोचना करते हुए फिल्म निर्माता ने कहा कि वह सेंसर बोर्ड से पास होने वाली नग्न और अर्धनग्न फिल्मों का विरोध क्यों नहीं करती हैं जिसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे समाज और जनमानस पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘आजकल फिल्मों में नग्नता बढ़ गयी है, कोई भी फिल्म परिवार के साथ बैठकर देखने लायक नहीं होती। तो इस पर लक्ष्मीकांता को कोई आपत्ति नहीं होती है।’’ फिल्म के विषयवस्तु के बारे में पूछने पर कट्याल ने कहा, ‘‘यह इंदिरा जी के हत्यारों की जीवनी पर आधारित है। इसमें यह दिखाया गया है कि वे इस चक्रव्यूह में कैसे फंस गए। कहीं भी उनको हीरो या नायक नहीं बताया गया है। फिर पता नहीं क्यों इस पर इतना हंगामा किया जा रहा है।’’ दूसरी ओर लक्ष्मीकांता ने कहा कि फिल्म पर रोक स्वागतयोग्य कदम है। समाज और देशहित में ऐसी फिल्मों पर रोक लगनी ही चाहिए। इससे पहले गुरुवार को सेंसर बोर्ड की प्रमुख लीला सैम्सन ने कहा था कि गृह मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर फिल्म की समीक्षा की गयी और फिल्म देखने के बाद यह फैसला किया गया कि शुक्रवार को इसका प्रदर्शन नहीं किया जाएगा।

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