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12 साल से मिट्टी खाकर जिंदा है बुंदेलखंड की यह महिला

eatingmud_24_05_2016ललितपुर। मिट्टी खाकर कोई कैसे सालों तक जिंदा रह सकता है? यह वाकई चौंकाने वाली बात हो सकती है लेकिन यह सच है। बुंदेलखंड के लल‍ितपुर जिले के समीप बसे राजवारा गांव की आदिवासी महिला सालों से मिट्टी खाकर खुद को जिंदा रखे हुए है। यूं तो पहले ही बुंदेलखंड में सूखे की स्थिति है, उस बीच इस महिला की यह कहानी दिल पसीजा देने वाली है।

सहर‍िया आदिवास‍ियों की अलग बसी बस्‍ती में रहने वाली शकुर रायकवार नाम की इस विधवा के पास सालों से खाने को कुछ नहीं है। पति की मौत पांच साल पहले हो चुके हैं और दो बच्‍चे तो हैं लेकिन उनका कोई अता-पता नहीं है। वे भी गांव से मांगकर खा रहे हैं और जिंदा है। दिक्‍कत यह है कि पूरे सहर‍िया समुदाय की खुद की हालत ऐसी नहीं है कि इस महिला का भरण-पोषण कर सके। स्वतंत्र पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने सूखा, पलायन, भूखमरी और किसानों की आत्महत्या से पस्त बुंदेलखंड पर रिपोर्ट लिखी तब शकुन की कहानी भी सामने आई।

कई बार एक वक्‍त का खाना देकर लोग जिम्‍मेदारियों से मुंह मोड़ लेते हैं। जब खाने को कुछ नहीं होता तो वह मिट्टी खाकर ही पेट भरती है।

शकुन खुद कहती है ‘ अब हमसे ना पानी भरा जाता है। पेट में भी बहुत दर्द होता है. बार-बार हमें शौच के लिए जाना पड़ता है, रोटी भी अब हज़म नहीं होती।’

स्थानीय लोगों बताते हैं कि शकुन के पति का इंतकाल हो जाने के बाद उसमें खेती करने की ताकत नहीं रही, बच्चों को मांग कर खाने की आदत पड़ गई। पेट में भूख की ज्वाला उठने पर वो मिट्टी खाकर भी उसे शांत कर लेती हैं।

 
 

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