नई दिल्ली : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने यौन उत्पीड़न के मामलों की जल्द सुनवाई के लिए 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। देश के अलग-अलग राज्यों में यह विशेष अदालतें अगले साल तक काम करना शुरू कर देंगी। इनमें महिला के यौन उत्पीड़न और बाल अपराधों से जुड़े पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई होगी। मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि विशेष अदालतों के निर्माण पर 700 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह रकम निर्भया कोष से मुहैया कराई जाएगी। इस बजट में 474 करोड़ रुपए केंद्र सरकार और बाकी 226 करोड़ राज्य सरकारें देंगी। 18 राज्यों में पॉक्सो एक्ट के तहत फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने हैं। इनमें महाराष्ट्र, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, मेघालय, झारखंड, आंध्रप्रदेश, बिहार, मणिपुर, गोवा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड, तमिलनाडु, असम और हरियाणा शामिल हैं। वित्त मंत्रालय की व्यय वित्त समिति (ईएफसी) के द्वारा नई अदालतों से जुड़े प्रस्ताव को स्वीकृति मिलना बाकी है। इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को पॉक्सो एक्ट, 2012 में संशोधन को मंजूरी दी थी।