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55,000 करोड़ के कर्ज वाली एयर इंडिया को उबारने में जुटी सरकार

पिछले कई वर्षों से घाटे में चल रही एयर इंडिया को उबारने के लिए सरकार ने एक नई योजना बनाई है। ऐसा माना जा रहा है कि इस योजना के लागू होते ही ऐसा माना जा रहा है कि एयर इंडिया प्रतिस्पर्धी और मुनाफे वाली एयर लाइन में तब्दील हो जाएगी। क्योंकि पूरी योजना न केवल इसके रिवाइवल पर केंद्रित है। सरकार इसके तहत एयरलाइन को वित्तीय पैकेज भी देगी। यही नहीं कोर बिजनेस बढ़ाने के लिए अलग-अलग रणनीतियां अपनाई जाएंगी। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान नागरिक विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने यह जानकारी दी।

55,000 करोड़ के कर्ज वाली एयर इंडिया को उबारने में जुटी सरकार

एयर इंडिया पर 55,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। माली हालत में सुधार के लिए अब तक यह सरकार के बेलआउट पैकेज पर निर्भर है। सिन्हा ने बताया कि कर्ज का एक हिस्सा और कुछ एसेट एक स्पेशल पर्पज व्हीकल (अलग कंपनी) को ट्रांसफर किए जाने की योजना है। इसके अलावा सरकार की योजना एयर इंडिया मैनेजमेंट को और मजबूत बनाने की है। जिसके तहत गवर्नेंस रिफॉर्म लागू करना, हर कोर बिजनेस के लिए अलग-अलग रणनीति पर अमल शामिल करना है। सरकार की योजना इसके कारोबार के बेहतर तरीके अपनाकर ऑपरेशनल एफिशिएंसी बढ़ाने की भी है।

सिन्हा ने कहा कि सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए प्रतिबद्ध है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने इसकी तीन सहयोगी कंपनियों को बेचने का ढांचा अलग से तय करने का निर्देश भी दिया गया है। इन कंपनियों में एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज लिमिटेड (एआईईएसएल), एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (एआईएटीएसएल) और एयरलाइन एलाइड सर्विसेज लिमिटेड (एएएसएल) शामिल हैं।

सिन्हा ने सदन को यह भी बताया कि एयर इंडिया को बदहाली से उबारने के लिए सरकार इसकी बेकार और खाली पड़ी जमीनों और ढांचे को भी बेचने की योजना बना रही है। अब तक एयरलाइन विभिन्न शहरों में अपनी नॉन-कोर एसेट्स को बेचकर 410 करोड़ रुपए एकत्रित कर चुकी है। एयर इंडिया को किराये से भी करीब 314 करोड़ रुपए की कमाई हुई है।

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